जब मैं पद्मावत देख रही थी, खिलजी के किरदार ने मुझे आजम खान जी की याद दिला दी।- जया प्रदा
पद्मावत 16वीं सदी के कवि मलिक मोहम्मद जायसी की कविता पद्मावत पर आधारित है।
दिल्ली के इतिहास को अपने कदमों से नापने वाले स्तंभकार और आम आदमी के इतिहासकार आर वी स्मिथ से जब अल्लाउद्दीन खिलजी को लेकर बात हुई तो उन्होंने खिलजी का कुछ इस तरह बखान किया, ‘‘अलाउद्दीन खिलजी औरतबाज नहीं था, जैसा कि पद्मावती फिल्म में उसे दिखाया गया ह
अलाउद्दीन खिलजी को लेकर कई किताबों में दावा किया गया है कि उसके हरम में महिलाओं के साथ-साथ कई पुरुष थे। इतिहासकारों की मानें तो उसके हरम में करीब 70 हजार आदमी, औरतें और बच्चे शामिल थे। इतिहास में ये भी दावा किया गया है कि नौजवान और बिना दाढ़ी वाले मर
सुल्तान खिलजी ने क़रीब 20 साल तक दिल्ली की गद्दी पर राज किया। इतिहास भले ही अलाउद्दीन खिलजी को जैसे भी याद करे लेकिन लोककथाओं की रूमानियत में वो सिर्फ एक खलनायक है। उसके दिलो-दिमाग़ में चितौड़गढ़ की रानी पद्मावती को अपनी हरम की चांदनी बनाने का फितूर
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