भारत ने शुक्रवार को ओडिशा के चांदीपुर अपतटीय क्षेत्र स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से नयी पीढ़ी की ‘आकाश’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। अधिकारियों ने बताया है कि ये परीक्षण पूरा सटीक रहा है।
अमेरिका से लेकर अफ्रीका तक पूरी दुनिया भारत के हथियारों की दीवानी है। खासकर आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल का लोहा पूरी दुनिया मानती है। जानिए क्या है कारण?
भारत अब हथियारों के जखीरे का निर्यात भी करने लगा है। भारत की आकाश और ब्रह्मोस मिसाइलों की डिमांड दुनिया के कई देशों में है। आकाश मिसाइल के तो आर्मेनिया सहित कई देश दीवाने हैं। आर्मेनिया से भारत को अरबों रुपयों का ऑर्डर भी मिला है।
आकाश मिसाइल का परीक्षण डीआरडीओ और आर्मी के अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ। जानकारी के मुताबिक मिसाइल ने टारगेट को सफलता पूर्वक ध्वस्त कर दिया।
आकाश प्राइम में -20 डिग्री सेल्सियस से 60 डिग्री सेल्सियस पर काम करने वाली बैटरियों की सुविधा होगी, जो उन्हें ठंडे मौसम की स्थिति में उपयोग के लिए व्यावहारिक बनाती है जहां वायु रक्षा प्रणाली को लंबी अवधि के लिए विपरीत जलवायु में तैनात किया जाता है।
भारत ने ओडिशा के अपतटीय क्षेत्र में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से शुक्रवार को सतह से हवा में मार करने वाली नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (आकाश-एनजी) का सफल परीक्षण किया।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बुधवार को ओडिशा के तट से एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (आकाश-NG) का सफलतापूर्व परीक्षण किया।
जमीन से हवा में मार करने वाली मौजूदा आकाश मिसाइल 96 फीसदी स्वदेशी है। ये हवा में 25 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इस सिस्टम को भारतीय वायु सेना ने 2014 में और भारतीय सेना ने 2015 में सेवा में शामिल किया था। कैबिनेट ने हाल ही में सिस्टम के निर्यात को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी दिए जाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे भारत के रक्षा निर्यात में पांच अरब डॉलर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल 96 फीसदी स्वदेशी है। ये हवा में 25 किलोमीटर तक मार कर सकती है। सिस्टम को डीआरडीओ के द्वारा विकसित किया गया है। सरकार के मुताबिक निर्यात किए जाने वाला आकाश सिस्टम भारतीय सेनाओं के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम से अलग होगा।
ब्रह्मोस मिसाइल को रूस और भारत ने मिलकर बनाया है, इसलिए रूस की सहमति न होने से यह मिसाइल किसी भी तीसरे देश को नहीं दी जा रही थी। अब रूस ने इस मिसाइल के निर्यात की अनुमति दे दी है।
रिपोर्ट में बताया गया कि सतह से आसमान में मार करने वाली इस मिसाइल के 30 फ़ीसदी परीक्षण जो अप्रैल से नवंबर 2014 के बीच हुए, वे नाकाम रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मिसाइल अपने लक्ष्य से पीछे ही रह गई और इसकी गुणवत्ता भी कम है इसलिए ये इतनी भरोसे
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