पुलिस न तो नाम पूछकर गोली चलाती है, और न मजहब देखकर एनकाउंटर करती है। बहराइच में जो हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था। रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद जिस तरह से लोगों के घर और दुकानें जलाई गईं वो भी दुर्भाग्यजनक था।
कांग्रेस सिर्फ ये कहकर पीछा नहीं छुड़ा सकती कि तुषार गोयल को तो दो साल पहले पार्टी से निकाल दिया था। हरियाणा में वोटिंग से दो दिन पहले तुषार गोयल का पकड़ा जाना, दीपेन्द्र हुड्डा के साथ उसकी तस्वीरें और उसके मोबाइल में दीपेन्द्र हुड्डा का नंबर मिलना, कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस खेल का एक दूसरा पहलू ये है कि केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को चक्कर में डाल दिया। वो इस बात में उलझे हुए हैं कि आतिशी को क्यों बनाया? आतिशी के माता-पिता ने अफज़ल गुरू के लिए मर्सी पिटीशन लगाई थी
कांग्रेस को डर है कि अगर हरियाणा में केजरीवाल दम लगाएंगे तो उनका वोट काट सकते हैं और ये डर भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के भाषणों में भी दिखाई दे रहा है जिसमें वो जनता से अपील करते नजर आ रहे हैं कि हरियाणा में मुकाबला सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, इसलिए जनता किसी वोटकटवा को अपना वोट ना दे।
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कम से कम 34 मंदिरों पर हमला किया गया, 4 मंदिरों को जला दिया गया, 39 जिलों में हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की गई। कई घरों में आग लगा दी गई। दो हिन्दू काउंसलर्स की हत्या कर दी गई। भारत सरकार ने इस बात पर सबसे ज्यादा चिंता जताई है।
शेख हसीना ने जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ एक्शन लिया लेकिन जमात ने छात्र नेताओं को सामने कर दिया। इन सारे छात्र नेताओं के तार कट्टर इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हैं। इन संगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पैसे देती है।
अगर एक मिनट के लिए शरद पवार की बात मान भी ली जाए कि मोदी की लोकप्रियता कम हुई है, तो पवार साहब ये तो बता दें कि किसकी लोकप्रियता बढ़ी है? पवार साहब की? जिनका भतीजा साथ छोड़ गया।
मोदी सरकार पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों का खात्मा कर रही है। इसकी हकीकत तो किसी को पता नहीं लगेगी लेकिन अगर सरकार ने एजेंसियों को छूट दी है, तो ये कोई गलत बात नहीं है क्योंकि मुंबई में हमला करने वाले हैंडलर्स पाकिस्तान में बैठे हैं । सरकार ने बीसियों बार सबूत दिए। पाकिस्तान ने क्या किया?
कांग्रेस का एक भी बैंक अकाउंट फ्रीज नहीं हुआ। देश भर में कांग्रेस पार्टी के 100 से ज्यादा अकाउंट हैं जिनमें अलग अलग जगह करोड़ों रुपये जमा हैं। इनमें से दिल्ली के पांच बैंकों के 11 अकाउंट्स से इनकम टैक्स ने अपने बकाया पैसे की रिकवरी की है। इन 11 अकाउंट्स को भी फ्रीज नहीं किया गया।
राहुल गांधी हर थोड़े दिन में कुछ ऐसा कह देते हैं कि उनकी पार्टी के लोग भी परेशान हो जाते हैं। सारी ताकत सफाई देने और लीपापोती करने में लग जाती है। कांग्रेस के एक नेता कह रहे थे कि, क्या करें? राहुल जी full toss फेकेंगे, तो मोदी जी sixer तो लगाएंगे ही।
अगर सारे चुनाव एक साथ हों तो लाखों करोड़ रूपए बचेंगे, वक्त बचेगा और ये संसाधन दूसरे कामों में लगाए जा सकते हैं। लेकिन एक देश, एक चुनाव का लक्ष्य फिलहाल आसान नहीं लगता क्योंकि संविधान में तमाम संसोधन करने होंगे।
पार्टी के सभी सीनियर नेताओं को मान दिया गया, चाहे नितिन गडकरी हों या पीयूष गोयल। उन्हें सम्मानजनक तरीके से अपनी पसंद की सीटें दी गईं, किसी भी ऐसे नेता का टिकट नहीं काटा गया।
बीजेपी ने हरियाणा में चुनाव से पहले जिस तरह नेतृत्व परिवर्तन का फैसला किया, उस तरह के प्रयोग बीजेपी ने पहले भी किए हैं। कर्नाटक को छोड़कर बाकी जगह बीजेपी की रणनीति सफल रही। इसलिए हो सकता है खट्टर को बदलने के पीछे दस साल की एंटी इनकंबैसी से बचने की रणीनीति हो।
CAA का भारतीय नागरिकों से सरोकार नहीं हैं। इसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाएगी। ये कानून सिर्फ पड़ोसी देशों में जुल्मों की शिकार अल्पसंख्यकों की मदद के लिए हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भागकर भारत आने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसियों के लिए हैं।
बंगाल में लेफ्ट फ्रंट तकरीबन पूरी तरह खत्म हो गया है। कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है। अब मुकाबला बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच है। इसीलिए बीजेपी बंगाल में पूरी ताकत लगा रही है। बंगाल की तरह बीजेपी की नजर तेलंगाना पर भी है।
पिछले कुछ दिनों से हलाल सर्टिफिकेट को लेकर बवाल मचा है और इसे लेकर अब सियासत भी खूब हो रही है। उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी इसके सुर तेज होने लगे हैं और राज्य में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स की बिक्री पर बैन लगाने की मांग हो रही है।
कई ऐलोपैथिक डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि योग और आयुर्वेद से लाइलाज बीमारियों का इलाज हो सकता है। मैं भी मानता हूं कि ऐलोपैथी ने पूरी दुनिया में लोगों की जान बचाने के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। इसीलिए आयुर्वेद और एलोपैथी में टकराव नहीं होना चाहिए, ये एक दूसरे के पूरक हैं।
प्रचार के दौरान मोदी कांग्रेस के नेताओं का भाषण सुन रहे थे तो कांग्रेस के नेता भी मोदी का भाषण सुनकर उस हिसाब से अपनी स्पीच तैयार रहे थे। मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे और राहुल गांधी दोनों ही मध्यप्रदेश में थे। मोदी ने राहुल को मूर्खों का सरदार कहा तो खरगे ने मोदी को झूठों का सरदार कह दिया।
बिहार के इस जातिगत सर्वे को हर नेता अपनी जाति के चश्मे से देख रहा है। जातिगत जनगणना हो गई, पर क्या इससे वाकई में गरीबों का भला होगा? क्या वाकई में सरकार जाति के आधार पर कल्याणकारी योजनाएं बना पाएगी?
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