Hot seats in Lok Sabha Elections 2024: हरिद्वार संसदीय सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा रहा है। पूर्व सीएम हरीश रावत यहां से सांसद रह चुके हैं और केंद्रीय में मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे। इस बार वह खुद न लड़कर बेटे को टिकट दिलवा दिए हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ कहा कि देहरादून को जब स्मार्ट सिटी के रूप में चयन किया गया था तो इसका नंबर 99 था, लेकिन केवल 3 साल में ही इसका नंबर 9 पर आ गया, इतना अच्छा काम हुआ है। लेकिन अब ऐसा क्या हो रहा है कि इसके निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
Uttarakhand News: पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का काफिला पौड़ी से सतपुली होते हुए कोटद्वार आ रहा था। शाम के करीब पांच से छह बजे के बीच कोटद्वार-दुगड्डा के बीच टूट गदेरे के पास अचानक एक हाथी जंगल से निकलकर सड़क पर आ गया।
2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला विधानसभा से चुनाव जीत कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे। मार्च 2021 में भाजपा आलाकमान ने उन्हें हटाकर तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन 6 महीने की समय सीमा के अंदर उनके विधायक नहीं बन पाने की संभावनाओं को देखते हुए भाजपा ने जुलाई 2021 में पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंप दी।
पुरोहितों के साथ सौहार्दपूर्ण बातचीत में धामी ने कहा कि उनकी सरकार जनभावनाओं का सम्मान करने वाली सरकार है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर तीरथ सिंह रावत ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो संवैधानिक संकट पैदा हो गया होता।
आज होने वाली विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए त्रिवेंद्र रावत पहुंच चुके हैं, उनके अलावा अजय भट्ट, धन सिंह रावत तथा सतपाल महाराज भी पार्टी ऑफिस पहुंच चुके हैं, पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी पार्टी ऑफिस पहुंच चुके हैं
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के पद से मंगलवार को इस्तीफा देने के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अपना 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
उत्तराखंड की राजनीति में उठा-पठक के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को राजभवन जाकर गवर्नर बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अब त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे पर कांग्रेस का बयान सामने आया है।
उत्तराखंड की राजनीति में उठा-पठक के बीच दो नाम चर्चा में है जो मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। ये दो नाम हैं अनिल बलूनी और धन सिंह रावत। अटकलें सतपाल महाराज को लेकर भी हैं। हालांकि, सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह कल साफ हो जाएगा।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से 9 मार्च की शाम करीब सवा चार से साढ़े चार बजे के बीच राजभवन में राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोमवार को दिल्ली तलब किया गया था जहां पर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा उत्तराखंड से भाजपा सांसद अनिल बलूनी के साथ मुलाकात की थी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी पर संकट की अटकलें अब सही साबित हो गई हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल से मिलने पहुंचे हैं। यहां वह राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंपेंगे।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से उत्तराखंड में जब ऑबजर्बर भेजे गए थे तो उन्होंने धन सिंह रावत के साथ मुलाकात की थी
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की आशंकाओं के बीच आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 3 बजे प्रेस वार्ता करने वाले हैं। इससे पहले खबर आई है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने का समय मांगा है और माना जा रहा है कि शाम 4 बजे वे राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं।
सोमवार शाम को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा नेता और उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी तथा भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में राज्यसभा सांसद और पार्टी नेता अनिल बलूनी से मिलने पहुंचे हैं।
उत्तराखंड बीजेपी की कोर ग्रुप की अचानक हुई बैठक ने राज्य सरकार में कुछ बड़े परिवर्तन की अटकलों को हवा देकर प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती अटकलों के बीच बीजेपी के सभी विधायकों को कल देहरादून पहुंचने को कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी के जिन सांसदों ने त्रिवेंद सिंह रावत की कार्यशैली के खिलाफ नाराजगी दिखाई, उनमें केंद्रीय मंत्री और हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, नैनीताल सांसद अजय भट्ट, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी और नरेश बंसल प्रमुख हैं।
उत्तराखंड में कई भाजपा नेताओं ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व पर सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं जिस वजह से पार्टी को वहां पर अपने स्थानीय नेताओं की राय जानने के लिए पर्वयवेक्षक भेजने पड़े हैं।
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