सरकार के पास प्याज का 4.5 लाख टन का बफर स्टॉक है, जिसमें से अबतक 1.5 लाख टन की बिक्री की जा चुकी है। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बफर स्टॉक प्याज को पहली बार रेलवे के माध्यम से प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों तक पहुंचाया जा रहा है और इससे सप्लाई बढ़ाने में मदद मिल रही है।
कुछ दिनों पहले ही प्याज की थोक कीमत बीते पांच साल में सबसे ऊंचे लेवल ₹5400 प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। यह भाव महाराष्ट्र के नासिक स्थित लासलगांव में देखा गया।
महाराष्ट्र के नासिक से 1,600 टन प्याज से भरी स्पेशल 'कांदा एक्सप्रेस ट्रेन' दिल्ली पहुंच गई है। अब प्याज की कीमत कम होगी।
बफर स्टॉक के 4.7 लाख टन प्याज में से 91,960 टन एनसीसीएफ और नेफेड को अलॉट किया गया है। इसके अलावा, 86,000 टन गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और मणिपुर सहित विभिन्न राज्यों को भेजा गया है।
उत्पादन में कमी के कारण दालों की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ईंधन की कीमतों में इस साल की शुरुआत में कीमतों में कटौती के कारण 11 प्रतिशत की गिरावट आई है।
आरबीआई के रिसर्च पेपर में इस स्थिति में सुधार के लिए एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव दिया गया है। इसमें किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद के लिए प्राइवेट मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात शामिल है।
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 22 सितंबर को दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 55 रुपये प्रति किलो थी, जो एक साल पहले की समान अवधि में 38 रुपये प्रति किलोग्राम थी। मुंबई और चेन्नई में प्याज कीमतें क्रमशः 58 रुपये और 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं।
सरकार की तरफ से रांची के कई इलाकों 19 सितंबर 2024 को 35 रुपये प्रतिकिलो के भाव पर प्याज उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में आपके लिए यह अच्छा मौका है। आप आज इसका लाभ ले सकते हैं।
सरकार ने मोबाइल वैन और एनसीसीएफ और नैफेड के आउटलेट के जरिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दर पर प्याज की बिक्री शुरू की है।
सरकार ने पहले न्यूनतम निर्यात मूल्य के तौर पर 550 डॉलर प्रति टन की लिमिट तय की थी। इसका मतलब ये था कि किसान इस भाव से कम कीमत पर अपनी उपज विदेश में नहीं बेच सकते थे। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर प्याज के निर्यात के लिए तय किए गए एमईपी को तत्काल प्रभाव से हटा दिया।
देश की राजधानी दिल्ली में प्याज की सप्लाई में कमी की वजह से औसत कीमतें 58 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्चस्तर पर बनी हुई हैं। सरकारी आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई। उपभोक्ता मामलों के विभाग की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, प्याज का अखिल भारतीय औसत मूल्य मंगलवार को 49.98 रुपये प्रति किलोग्राम रहा।
बाजार में हस्तक्षेप का उद्देश्य स्थानीय आपूर्ति में सुधार करना और रसोई में इस्तेमाल होने वाले इस प्रमुख खाद्य पदार्थ की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाना है।
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चालू वर्ष में बफर के लिए प्याज का औसत खरीद मूल्य 2,833 रुपये प्रति क्विंटल था, जो पिछले साल के 1,724 रुपये प्रति क्विंटल के खरीद मूल्य से 64 प्रतिशत अधिक है।
प्याज उत्पादक की समस्या पर स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने परिवहन सुचारू करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है।
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वेज थाली की लागत में 13 प्रतिशत का योगदान देने वाले चावल की कीमत में एक साल में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उत्पादन कम रहने से वेज थाली में नौ प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली दाल की कीमत साल-दर-साल 21 प्रतिशत बढ़ गई।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस साल अच्छे मानसून के पूर्वानुमान से जून से प्याज सहित खरीफ (ग्रीष्मकालीन) फसलों की बेहतर बुवाई सुनिश्चित होगी। सरकार ने चुनाव के दौरान प्याज की कीमतें कम रखने के लिए 4 मई को प्रतिबंध हटा दिया था।
Export duty on onion : भारत ने हाल ही में मालदीव को अंडे, आलू, प्याज, चावल, गेहूं का आटा, चीनी और दाल जैसी कुछ वस्तुओं की निर्दिष्ट मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंध को हटा दिया था।
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