आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) का दिसंबर 2024 का अंक जारी किया है, जो भारतीय वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है।
2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए उच्च आवृत्ति संकेतक (एचएफआई) संकेत देते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि से प्रेरित है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौद्रिक, राजकोषीय और बाहरी सख्ती का सामना कर रही है। एजेंसी ने कहा कि हालांकि अब मौद्रिक स्थितियों में नरमी आने की उम्मीद है, लेकिन वित्तीय और सख्ती वित्त वर्ष 2026 में भी जारी रहने की उम्मीद है।
सएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चीन के लिए विकास दर को साल 2024 में 4.8 प्रतिशत पर बरकरार रखा, लेकिन अगले साल के पूर्वानुमान को पहले के 4.3 प्रतिशत से घटाकर 4.1 प्रतिशत और 2026 में 4.5 प्रतिशत के पिछले अनुमान से घटाकर 3.8 प्रतिशत कर दिया।
बुलेटिन में कहा गया है कि देश में वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो कुछ सुस्ती देखी गयी थी, वो अब पीछे छूट गई है। इसका कारण ये है कि निजी खपत घरेलू मांग को गति दे रही है और त्योहारों के दौरान खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधियों को बढ़ाया है।
भारत के बारे में, मूडीज ने कहा कि घरेलू खपत में सुधार, मजबूत निवेश और मजबूत विनिर्माण गतिविधि के कारण 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में साल-दर-साल 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान निर्यात 3. 18 प्रतिशत बढ़कर 252. 28 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 5. 77 प्रतिशत बढ़कर 416. 93 अरब डॉलर हो गया।
एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत वृद्धि संभावनाओं और बेहतर रेगुलेशन के कारण शेयर बाजारों के गतिशील और प्रतिस्पर्धी बने रहने का अनुमान है। भारत के प्रमुख उभरते मार्केट इंडेक्स में शामिल होने के बाद से भारत सरकार के बॉन्ड में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
2047 तक भारत जनसांख्यिकी के लिहाज से दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक होगा, जो समृद्धि की ओर अग्रसर होगा, जिसकी अनुमानित प्रति व्यक्ति आय लगभग 18,000 से 20,000 अमेरिकी डॉलर होगी।
शुद्ध कच्चे हीरे के आयात और शुद्ध कटे और पॉलिश किए गए हीरे के निर्यात के बीच का अंतर काफी बढ़ गया है। अनप्रोसेस्ड कच्चे हीरों का एक बड़ा भंडार जमा हो रहा है।
भविष्य की वृद्धि के लिए बैंकों में 4 ट्रिलियन डॉलर के पूंजी आधार की आवश्यकता होगी, जिसमें से एक तिहाई को नई पूंजी की तैनाती करनी होगी।
भारत की रेटिंग को इसके मध्यम अवधि के मजबूत वृद्धि परिदृश्य से समर्थन हासिल है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में जीडीपी के हिस्से के साथ इसकी ठोस बाहरी वित्तीय स्थिति और इसके कर्ज प्रोफाइल के संरचनात्मक पहलुओं में सुधार को आगे बढ़ाएगा।
शौर्य डोभाल का कहना है कि भारत साल 2034 तक 8000 अरब डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। हालांकि, डोभाल ने यह भी कहा कि निर्यात के मोर्चे पर कुछ परेशानी रहेगी।
Indian economy News : अमेरिका पर इस समय मंदी के काले बादल मंडरा रहे हैं। जर्मनी भी मंदी की चपेट में है। वहीं, भारत दुनिया की तीसरे बड़ी इकोनॉमी बनने की तरफ अग्रसर है।
भारत को अपनी आजादी के 100वें वर्ष यानी 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करने के लिए एक विजन दस्तावेज तैयार किया जा रहा है।
भारतीय पूंजी बाजार का प्रदर्शन बीते वित्त वर्ष में दूसरे उभरते बाजारों में सबसे बेहतर रहा है। आज भारतीय बाजार वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक झटकों को झेलने में अधिक सक्षम हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
अदानी ने कहा कि अगले दशक में हम ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य सीरीज का और विस्तार करेंगे। गौतम अदानी ने कहा कि बीते 30 वर्षों में हमने काफी कुछ हासिल किया है।
वॉरेन बफे ने कहा कि उनके समूह की होल्डिंग कंपनी बर्कशायर हैथवे भविष्य में भारत में अवसर तलाशना चाहेगी। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा अवसर हो, जिसकी खोज न की गई हो या जिस पर ध्यान न दिया गया हो। लेकिन ऐसा भविष्य में हो सकता है।
सुब्रमण्यन ने कहा कि अगर भारत 8 प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो साल 2047 तक भारत 55 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। ऐतिहासिक रूप से 1991 के बाद से, भारत की औसत वृद्धि 7 प्रतिशत से थोड़ी अधिक रही है।
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