गुड़ी पड़वा एक मराठी शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है- 'गुड़ी' जिसका अर्थ है भगवना ब्रह्मा का ध्वज जिसे समृ्द्धि का प्रतीक माना जाता है। और 'पड़वा' का अर्थ है चंद्रमा के चरण।
Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा के दिन विजय पताका लगाने से घर में सकारत्मकता बनी रहती है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा की खास धूम रहती है।
श्रद्धा रणबीर कपूर के साथ लव रंजन की फिल्म में दिखाई देंगी। इसके अलावा, उनके पास पंकज पाराशर की 'चलबाज इन लंदन' और विशाल फुरिया की 'नागिन' भी आ रही है।
महाराष्ट्र में आज गुढ़ी पाड़वा है। यह दिन बहुत खास माना जाता है। आज से ही हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हुई है। इस खास मौके पर राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार मुंबई वालों को मेट्रो के दो लाइन का सौगात दे रही है।
गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल 2022, मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन से नवरात्र प्रांरम्भ होने के साथ-साथ हिंदू धर्म के नववर्ष की शुरुआत भी होगी।
गुड़ी पड़वा मुख्य रुप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला त्योहार है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर नए हिंदू वर्ष की शुरुआत होती है
कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के बीच आज देश भर में गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जा रहा है। ऐसे में सोनाली बेंद्रे ने इंस्टा पोस्ट के जरिए त्योहार की बधाई दी है।
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व के लेकर काफी मान्यताएं है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा।
इस साल 25 मार्च 2020 को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा।
नवरात्रि के पहले दिन और गुड़ी पड़वा के मौके पर शनिवार को अमिताभ बच्चन, अजय देवगन और आशा भोसले जैसी बॉलीवुड हस्तियों ने अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों के लिए खुशी, शांति और समृद्धि की कामना की।
Gudi Padwa 2019: चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पहले दिन नए साल के रूप में गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को फूलों से सजाते हैं। जानें गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त, कथा और तोरण और पताका लगाना क्यों है शुभ।
गुड़ी पाड़वा को कई नामों से जाना जाता है। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे ‘संवत्सर पड़वो’ के नाम से मनाता है। जानिए इस दिन कौन से काम करना होगा शुभ...
हिंदू पंचाग के अनुसार 18 मार्च, रविवार को साल का शुभारंभ हो रहा है। साथ ही इस दिन से नवरात्र और गुड़ी पाडंवा का त्योहार भी है। जो कि बहुत ही ख़ास है। इन उत्सवों में शुभ योग होने के कारण इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि
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