किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है कि 101 किसानों का एक जत्था 8 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच शुरू करेगा क्योंकि केंद्र सरकार बातचीत के मूड में ही नहीं है।
एमएसपी गारंटी कानून और अन्य मांगों को लेकर किसान आज अपने आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति तय कर सकते हैं।
किसानों ने सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने का फैसला किया। किसान 21 फरवरी से पहले सरकार को जवाब देंगे। वहीं, किसान संगठनों ने अभी आंदोलन खत्म करने का ऐलान नहीं किया है।
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया कि अगर किसान आंदोलन लंबा चला तो रोजाना उत्तरी राज्यों को 500 करोड़ तक का नुकसान होगा।
किसान अपनी मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली को घेर चुके हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का भारी जमवड़ा है। लोकसभा चुनावो से ठीक पहले किसानों के इस आंदोलन पर इंडिया टीवी ने एक पोल किया जिसके नतीजे चौंकाने वाले रहे।
किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। इस बीच खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक किसान इस बार दिल्ली में पीएम और गृह मंत्री के आवास का घेराव करना चाहते हैं।
किसानों ने दिल्ली कूच करने का ऐलान कर दिया है। उससे पहले हरियाणा सरकार ने सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगाने के साथ अब पंचकुला में धारा 144 भी लागू कर दी है।
पंजाब में किसानों का रेल रोको आंदोलन शनिवार को दिनभर जारी रहा। इस आंदोलन के चलते ट्रेन यातायात पर काफी असर पड़ा। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने रेल रूट को जाम कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बैनर तले 3 साल बाद आज दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों किसान फिर जुटे हैं। किसान नेता दर्शन पाल ने कहा, ''हर राज्यों में संयुक्त किसान मोर्चा बन चुका है। आंदोलन की तैयारी की घोषणा की जाती है।''
तीनों कानूनों के खिलाफ यूं तो आंदोलन की शुरुआत 2020 में हो गई थी। वर्ष 2021 से पहले ही किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल चुके थे। सरकार की ओर से भी बातचीत की पहल चल रही थी।
एसकेएम की तरफ से कहा गया कि अब 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की फिर मीटिंग होगी जिसमें इस बात की समीक्षा की जाएगी कि सरकार ने अपने वादे कहां तक पूरे किए।
किसानों के विरोध ने आलम जैसे कई युवाओं को भी आकर्षित किया जो बी. टेक के बाद एम. टेक कर चुके हैं।
चालीस किसान संघों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन निलंबित करने का बृहस्पतिवार को निर्णय लिया और घोषणा की कि किसान 11 दिसंबर से अपने घरों की ओर लौटने लगेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर कई घंटों तक चर्चा हुई।
खुद राकेश टिकैत ने कबूल किया है कि चिट्ठी मिली है। राकेश टिकैत ने इंडिया टीवी से फोन पर बताया कि सरकार से चिट्टी आई है।
अलग-अलग किसान नेता अलग-अलग बात कर रहे हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बन जाता है तब तक किसान धरना स्थल से नहीं हटेंगे।
केंद्र ने एमएसपी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को एसकेएम से पांच नाम मांगे थे। हालांकि बाद में एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि उसके नेताओं को केंद्र से इस मुद्दे पर फोन आये थे लेकिन कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक तय कार्यक्रम के मुताबिक 4 दिसंबर को होगी। आज केवल पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक होगी।
SKM ने एक बयान में कहा था कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा और आगे की रूपरेखा 27 नवंबर को तय की जाएगी।
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