प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 में बनाया गया था। इसका उद्देश्य देश में पूजा स्थल से जुड़े विवादों को रोकना था। हालांकि, अब यह एक्ट ही विवादों में आ चुका है।
कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को हुई घटना की जिम्मेदारी ली। कल्याण सिंह ने कहा, “मैं इसकी जिम्मेदारी खुद लेता हूं। विवादित ढांचे पर मौजूद कारसेवकों पर गोली नहीं चलाई गई तो इसकी जिम्मेदारी किसी अधिकारी की नहीं है। मैंने इस मामले में लिखित आदेश दिया था कि किसी पर भी गोली नहीं चलाई जाए।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने आज एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी से बात की। इस दौरान पाठ्यक्रम से कुछ विषयों के हटाए जाने पर उन्होमंने कहा कि बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना, हिंसक और अवसादग्रस्त नागरिक पैदा कर सकता है।
एनसीईआरटी (NCERT) की नई रिवाइज्ड किताबों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इसमें बाबरी मस्जिद का जिक्र ही नहीं किया गया है बल्कि उसकी जगह तीन गुंबद वाली संरचना का जिक्र है।
लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान अब जोर पकड़ चुका है। बीजेपी जहां राम मंदिर और सनातन धर्म कार्ड खेलकर विपक्ष की घेराबंदी करने में जुटी है। वहीं, बसपा ने खुलकर मुस्लिम कार्ड खेला है।
NCERT ने कक्षा 11वीं व 12वीं की किताबों के पाठ में बड़े फेरबदल किए हैं। जिसमें बाबरी मस्जिद से लेकर गुजरात दंगे के टॉपिक भी शामिल हैं।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी शनिवार को इंडिया टीवी के खास शो आप की अदालत में रजत शर्मा के सवालों के जवाब दे रहे थे। ओवैसी ने बाबरी मस्जिद को लेकर बड़ी बात कही। जानिए क्या कहा था-
संसद में राम मंदिर के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान असदुद्दीन औवेसी ने केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया। ओवैसी ने कहा, ''मोदी सरकार सिर्फ एक मजहब की सरकार है? या पूरे देश के धर्मों को मानने वाली सरकार है? 22 जनवरी का जश्न मनाकर आप करोड़ों मुसलमानों को क्या मैसेज दे रहे हैं?''
यूपी विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए बयान के बाद राजनीति तेज हो गई है। इस बीच अब मौलाना सिराज खान ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को योगी आदित्यनाथ को पढ़ना चाहिए।
FTII के 300 से अधिक पूर्व छात्रों ने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की निंदा करने वाले बैनर को लेकर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा संस्थान के कुछ छात्रों पर कथित हमले के बाद विद्यार्थियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए एक खुला पत्र लिखा है।
भारत में हर कोई राम की भक्ति में डूबा हुआ है लेकिन क्या आपको पता है कि आज पाकिस्तान में क्या चल रहा है। राम मंदिर को लेकर पाकिस्तान के लोगों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। लोग सोशल मीडिया पर #BabriMasjid और #BabriZindaHai ट्रेंड करा रहे हैं।
दिल्ली को जीतने के बाद बाबर के आदेश पर अयोध्या में स्थित राम मंदिर को 1528 में तोड़ दिया गया था। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर के स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसका नाम बाबरी मस्जिद रखा।
आज से 30 साल पहले आज ही के दिन अयोध्या की बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी, जिसके बाद मामला अदालतों में चला और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला हिंदू पक्ष में सुनाया और अब उसी जमीन पर राम मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'हमारी बाबरी मस्जिद छीनी गई। हमने एक बाबरी मस्जिद खो दी, अब दूसरी मस्जिद को खोने नहीं देंगे इंशा अल्लाह।'
जेएनयू में विवादित नारेबाजी पर पहले भी बवाल हो चुका है। साढ़े पांच साल पहले 9 फरवरी 2016 को अफजल गुरु की बरसी पर विवादित नारे लगे थे।
अयोध्या में विवादित ढांचे की बरसी को लेकर उत्तर प्रदेश के हर शहर में आज कड़ा पहरा है लेकिन सबसे ज्यादा अलर्ट पर आज मथुरा और अयोध्या में है। सीएम कार्यालय की ओर से शांति और सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता नहीं करने को लेकर साफ निर्देश दे दिए गए हैं।
26 जनवरी को सुबह 8.30 बजे परियोजना के पांच एकड़ के भूखंड पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा, जिसके बाद मुख्य ट्रस्टी और IICF के सदस्य ट्रस्टियों द्वारा वृक्षों के पौधे लगाए जाएंगे। बयान में कहा गया कि वर्चुअल मीटिंग में ये तय हुआ है कि प्रोजेक्ट की औपचारिक शुरुआत अयोध्या जिला बोर्ड से योजना की मंजूरी के आवेदन और भूखंड पर मिट्टी के परीक्षण की प्रक्रिया के साथ की जाएगी।
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को लोगों से अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में किए गए अन्याय को याद रखने और इस बारे में अगली पीढ़ी को बताने का आग्रह किया।
भारतीय जनता पार्टी के नेता विनय कटियार ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किए जाने के बाद अब काशी और मथुरा मामलों में हिंदुओं के पक्ष में समाधान निकाला जाना चाहिए।
रामजन्मभूमि आंदोलन का राजनीतिक चेहरा रहे आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित कई अन्य आरोपियों के साथ मंच पर मौजूद थे जब कारसेवकों की भीड़ ने छह दिसम्बर 1992 को मस्जिद ढहाया था।
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