वास्तु शास्त्र में कल हमने बात की थी मुख्य द्वार के पास छोटे गेट के बारे में और आज हम बात करेंगे कर्ज से पूजा घर के संबंध के बारे में। जी हां, घर के लिए मंदिर बनाने में कई प्रकार की सामग्रियों और शैलियों का उपयोग किया जाता है। जैसे कि लोग अपने घरों में मंदिर बनाने के लिए लकड़ी, संगमरमर, ग्रेनाइट आदि का उपयोग करते हैं। ऐसे में क्या इन चीजों का इस्तेमाल सही है। आचार्य इंदु प्रकाश से जानें।
मंदिर किस दिशा में होना चाहिए?
शास्त्र के अनुसार मंदिर का निर्माण ईशान कोण में करवाना सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन इस दिशा में मंदिर बनवाते समय एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजास्थल के नीचे पत्थर का स्लैब न लगवाएं।
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पूजा घर मार्बल और ग्रेनाइट जैसे पत्थरों से क्यों न बनवाएं
आचार्य इंदु प्रकाश बताते हैं कि पूजास्थल के नीचे पत्थर का स्लैब न लगवाने से आप कर्ज के चंगुल में फंस सकते हैं। पत्थर की जगह आप लकड़ी की स्लैब या अलग से लकड़ी का पूरा मंदिर बनवा सकते हैं।
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परंतु ध्यान रहे कि लकड़ी का मंदिर बिल्कुल दीवार से सटा ना हो, दीवार से थोड़ा हटाकर ही मंदिर का निर्माण करवाएं। अगर आप उत्तर-पूर्व दिशा में लकड़ी के मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं तो मंदिर के नीचे गोल पाए जरूर बनवाएं। कल हम बात करेंगे घर में टूटे बर्तनों व अष्टकोणीय आईने के बारे में।