Highlights
- सिंधु घाटी की सभ्यता में भी थे शौचालय
- वास्तु शास्त्र ने नहीं है टॉयलेट का जिक्र
- असुर करते थे घरों में शौचायल का निर्माण
Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में कई तरह के नियम तय किए गए हैं। हर नियम के पीछे एक खास वजह होती है। यदि इन्हें चीज़ें इनके हिसाब से न हों, तो घर में आए दिन तरह-तरह की परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं। इसलिए घर में कुछ भी नया खरीदने से पहले या कुछ भी शुभ काम करने से पहले वास्तु शास्त्र के नियम का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र में आज हम जानेंगे कि घरों में टॉयलेट को लेकर वास्तु का क्या नियम है।
सिंधु घाटी की सभ्यता में भी थे शौचालय
वास्तु शास्त्र में आज हम बतायेंगे कि शौचालय की उपस्थिति का जिक्र कहां-कहां और किस-किसने किया है। याद दिला दूं कि सिन्धु घाटी की खुदाई की सम्यता में वैस्टर्न कमोड जैसी आकृतियों के ध्वंसावशेष प्राप्त हुए हैं और मय दानवों ने भी प्राकांतर से शौचालयों का उल्लेख किया है।
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वास्तु शास्त्र ने नहीं है टॉयलेट का जिक्र
ध्यान रहे कि मय का वास्तुशास्त्र ज्यादातर असुरों द्वारा प्रयोग किया जाता था जबकि देवताओं के वास्तुशिल्पी विश्वकर्मा महाराज थे, जिनके ग्रंथ विश्वकर्मा प्रकाश में कहीं भी शौचालय का जिक्र नहीं है। हो सकता है कि मूलतः कभी जिक्र रहा हो और कालांतर में हमने उस ग्रंथ को खो दिया हो। लेकिन भारत के ज्ञात इतिहास में भी मुगलों के आने के पहले घरो में शौचालय नहीं होते थे। ज्यादातर लोग जलाशयों के पास जाकर ही प्राकृतिक शंकाओं का निवारण करते थे।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)