वास्तु शास्त्र में कल हमने आपको पिरामिड के जरिये वास्तु दोषों से छुटकारा पाने के बारे बताया था और आज हम बात करेंगे पिरामिड को घर के किस हिस्से में और कौन-सी दिशा में बनवाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार पिरामिड की अद्भुत शक्तियों का लाभ पाने के लिए घर के मध्य भाग अथवा लिविंग रूम को ऊपर से, यानि की उसकी छत को पिरामिड की आकृति का बनवाएं. पिरामिड की छत के नीचे बैठने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा अनिद्रा, सिरदर्द, पीठदर्द में भी लाभ मिलता है।
यदि आप घर के किसी अन्य भाग में पिरामिड बनवाना चाहते हैं तो उसका एक त्रिभुज उत्तर दिशा की ओर रखें, शेष त्रिभुज अपने आप ही दिशाओं के अनुरूप हो जाएंगे। इसके अलावा आपके घर के किसी कमरे या अन्य जगह का ईशान कोण ऊंचा हो और नैऋत्य नीचा तो नैऋत्य में छत पर पिरामिड का निर्माण करके नैऋत्य को ईशान से ऊंचा कर सकते हैं।
यदि आपके घर के भूखंड की भुजाएं मुख्य दिशाओं के समानांतर नहीं है तो ऐसे भूखंड को दिक्दोष वाला भूखंड कहते हैं. दिक्दोष के अलावा अगर आपके भूखंड में आकार संबंधी कोई भी दोष है तो इन भूखंड के मध्य में 9, 36, 54 या 81 पिरामिड भूखंड के आकार के हिसाब से दबवाएं। ऐसा करने से आप इन दोषों से छुटकारा पाने में समर्थ होंगे। इसके अलावा वीथी शूल दोष होने पर भूखंड की उस दिशा में 9 पिरामिड लगाएं जहां पर वीथी शूल हो रहा है। यदि भूखंड के समीप से निकले वाले मार्ग भूखंड पर एक तीर की तरह आकृति बनाते हैं तो यह वीथी शूल दोष कहलाता है।