Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में कल हमने बात की थी पूर्वमुखी भवन के बारे में और वास्तु शास्त्र में आज आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए उसी कड़ी में उसके अगले पहलु के बारे में। पूर्वमुखी भवन की शुभता सुनिश्चित करने के लिए अगर भवन का पूर्व भाग अन्य भागों से कुछ नीचा हो तो भवन का स्वामी स्वस्थ, हष्ट-पुष्ट और साधन-सम्पन्न होगा। उसे हर तरह की भौतिक वस्तुओं का सुख मिलेगा।
अतः वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वमुखी भवन का पूर्वी हिस्सा अन्य भागों से नीचा रखने की कोशिश करनी चाहिए। अन्यथा यह हिस्सा ऊंचा रखने पर आपको आर्थिक तंगी का सामना का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इससे आपकी संतान के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ेगा। इसलिए ध्यान रखें कि घर का पूर्वी हिस्सा अन्य हिस्सों से ऊंचा न हो।
पूर्व मुखी भवन में पूर्व और उत्तर दिशाओं में खाली स्थान हो तो भवन स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ की दृष्टि से बहुत ही हितकारी है। अतः पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशाओं में खाली स्थान जरूर छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से धन और वंश के साथ-साथ स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, अगर आप मकान बनाने के लि कोई जमीन देख रहे हैं तो भूमि खरीदते समय उसकी दशा- दिशा, आकार जानना बेहद जरूरी है। वास्तु के अनुसार, सही आकार में चुनी गई भूमि जहां लाभकारी होती है, वहीं भूमि का एक गलत चुनाव आपके सारे काम बिगाड़ सकता है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, जिस भूमि का आकार चौकोर हो, हाथी के समान फैला हो, गोल हो, भद्रपीठ, यानी जिसकी लंबाई-चौड़ाई समान व मध्य भाग समतल हो, जो शिवलिंग के समान आकृति की हो और जिसमें कुम्भ, यानी घड़ा आदि दबा मिले, ऐसी भूमि बेहद शुभ होती है। कहते हैं ऐसी भूमि देवताओं को भी दुर्लभता से मिलती है। सभी के लिये समतल भूमि शुभ मानी जाती है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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