Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में आज आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए पूर्वमुखी भवन की विभिन्न स्थितियों में भवन निर्माण करवाते समय शुभ- अशुभ परिणामों के बारे में। किसी भी दिशा में भवन बनवाते समय उसके शुभ-अशुभ परिणामों के बारे में अच्छे से विचार कर लेना चाहिए। भवन की शुभ स्थिति को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए और अशुभता से बचाव के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए,ये जानना बहुत जरूरी है। आज हम आपको पहले पूर्वमुखी भवन की शुभता हेतु अपनाए जाने वाले पहलुओं के बारे में बताएंगे।
पूर्व मुखी भवन में पूर्व और उत्तर दिशाओं में खाली स्थान हो तो भवन स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ की दृष्टि से बहुत ही हितकारी है। लिहाजा पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशाओं में खाली स्थान जरूर छोड़ना चाहिए। ऐसा करने से धन और वंश के साथ-साथ स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा।
दिशाओं के अनुसार भवन बनाने के लिए आठ स्थितियां बनती हैं। पहली स्थिति में पूर्वमुखी भवन आता है, जिसमें भवन का द्वार पूर्व दिशा में होता है। दूसरी स्थिति में पश्चिम मुखी भवन आता है, जिसमें द्वार पश्चिम दिशा की ओर होता है। अगली स्थिति में उत्तर मुखी भवन होता है, जिसमें भवन का द्वार उत्तर दिशा की ओर होता है। इसके अलावा दक्षिण मुखी भवन, जिसमें दक्षिण दिशा की तरफ भवन का द्वार होता है। ईशान मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होता है।
आग्नेय मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर होता है। नैर्ऋत्य मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ होता है और आखिरी स्थिति वायव्य मुखी भवन, जिसमें भवन का द्वार उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ होता है।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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