Highlights
- पूजा करने के बावजूद भी कई घरों में सुख-शांति का अभाव होता है
- यदि मंदिर सही दिशा में नहीं है तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है
- घर में मंदिर की दिशा और कलर बहुत मायने रखते हैं
Vastu Shastra: हिंदू धर्म में लोग अपने घरों में सुबह और शाम पूजा-पाठ करते हैं। घर के मंदिर में नियमित रूप में देवी-देवताओं और भगवान की पूजा की जाती है। हालांकि,पूजा करने के बावजूद अक्सर कई लोगों के घर पर सुख-शांति का अभाव होता है और पैसों की बहुत ज़्यादा दिक्कत होती है। आपको बता दें, इन वजहों के पीछे वास्तु दोष भी हो सकता है। यदि आपके घर पर पूजा मंदिर सही जगह पर नहीं बना है तो घर में इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है और उस घर पर हमेशा संकट के बादल मंडराते हैं। इसलिए घर बनवाते समय पूजा घर के इन नियमों का ज़रूर ध्यान रखें।
सही दिशा में हो पूजा घर
उत्तर-पूर्व दिशा या ईशान कोण को देव दिशा कहा गया है। इस दिशा से पॉज़िटिव ऊर्जा का संचार होता है और इस दिशा में मंदिर रखने से इंसान बहुत तरक्की करता है। इसलिए वास्तु के अनुसार पूजा घर के लिए ये दिशा सबसे अच्छा माना गया है। अगर इस दिशा में पूजा घर बनाना मुश्किल हो तो आप घर के उत्तर या फिर पूर्व दिशा में भी पूजा घर बनवा सकते हैं।
ऐसी जगहों पर न रखें मंदिर
अगर आप चाहते हैं कि आप पर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहे तो पूजा घर को कभी बेडरुम, सीढ़ियों के नीचे, किचन या बाथरूम के आसपास भूलकर भी न बनाएं। इसके अलावा घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी पूजा घर नहीं बनवाना चाहिए।
ज़मीन पर न बनाएं भगवान का मंदिर
घर पर पूजा के लिए मंदिर बनाते समय मंदिर जमीन पर न रखें। क्योंकि भगवान का स्थान सबसे ऊंचा होता है। इसलिए उनके मंदिर को कभी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार पूजा घर की ऊंचाई इतनी होनी चाहिए कि भगवान के पैर और आपके दिल का लेवल बराबर हो।
पूजा घर को इन रंगों से रंगे
जिस तरह हम घर के कमरों के लिए रंगों को चुनते हैं। ठीक उसी तरह पूजा घर के लिए भी रंगों का महत्व होता है। वास्तु के अनुसार पूजा घर के लिए सफेद, पीला, हल्का नीला और नारंगी रंग सबसे अच्छे होते हैं। साथ ही यहां आप सफेद रंग की लाइट लगा सकते हैं।