Vastu Tips: हमारे देश में कई ऐसी मान्यताएं हैं जिसे लोग आज भी अपनाते हैं। खासकर हिंदू धर्म में तो ऐसी मान्यताओं को बहुत जोड़ दिया जाता है। इनमें पूजा-पाठ, व्रत, त्यौहार, रोजमर्रा के जीवन जैसे सोने-जागने, खाने-पीने से लेकर उठने-बैठने तक के नियमों के बारे में जिक्र किया गया है। इसके अलावा भी इसमें कई चीजों के बारे में बताया गया है। इन्हीं में से एक 3 रोटी भी है।
जी हां, आपने अक्सर लोगों से ये कहते हुए सुना होगा कि थाली में तीन रोटी मत दो, तीन लड्डू मत, तीन पराठा मत दो, तीन सेब मत तो, आदि। यहां तक कि प्रसाद में भी कभी तीन फल नहीं चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? अगर नहीं, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि इस लेख में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों 3 रोटी एक साथ नहीं परोसी जाती है? आइए जानते हैं।
थाली में क्यों नहीं परोसी जाती हैं 3 रोटियां? (Why 3 rotis are not served together in plate?)
मान्यताओं के अनुसार, थाली में 3 रोटी रखने का मतलब मृतक के भोजन के समान माना जाता है। अक्सर तेरहवीं संस्कार में आपने देखा होगा कि मृतक के लिए जो भोग निकालते हैं उसमें या तो 1 रोटी होती है या 3 रोटी रखी जाती है। इसलिए जीवित व्यक्ति के भोजन में 3 रोटियां परोसना अशुभ माना जाता है।
नंबर 3 को माना जाता है अशुभ (Number 3 is considered as unlucky)
खाने पीने की चीजों के मामले में 3 के अंक को अशुभ माना गया है। इसके साथ ही पूजा-पाठ में भी 3 अंक को अशुभ माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में खाने-पीने की चीजों में तीन की संख्या में ना तो कुछ दिया जाता है और ना ही कुछ लिया जाता है। वहीं, पूजा या प्रसाद में भी कोई सामग्री 3 की संख्या में नहीं चढ़ाई जाती है।
क्या कहता है विज्ञान? (What does science say?)
विज्ञान की नजर में ऐसी कोई गिनती नहीं है लेकिन एक सामान्य व्यक्ति के लिए 1 कटोरी दाल, चावल और सब्जी के साथ 2 रोटी खाना पर्याप्त होता है, उससे लेकिन ऐसा जरूर है कि सामान्य व्यक्ति को एक कटोरी दाल, चावल और सब्जी के साथ दो रोटी खाना पर्याप्त होता है, ऐसे में तीसरी रोटी खाने से मोटापा बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी होती हैं।