वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे पूजा में प्रसाद या नैवेद्य के बारे में। किसी भी पूजा में देवी-देवता को प्रसाद या नैवेद्य अर्पित किया जाता है, लेकिन उस प्रसाद का बाद में, यानी चढ़ाए जाने के बाद क्या करना चाहिए। उसे खाना चाहिए, फेंकना चाहिए, ऐसे ही पड़ा रहने देना चाहिए और एक बात और कि किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिये ? क्योंकि इन सब चीजों का घर पर सीधा असर
पड़ता है।
किन बर्तनों में चढ़ाएं भगवान को प्रसाद
भगवान को प्रसाद धातु, यानि सोने, चांदी या ताम्बे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए।
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चढ़ाए हुए प्रसाद का क्या करें?
चढ़ाया हुआ नैवेद्य तत्काल निर्माल्य हो जाता है और उसे तुरंत उठा लेना चाहिए। प्रसाद को खाना चाहिए और यथा संभव बांटना भी चाहिए। देवता के पास पड़ा हुआ नैवेद्य निगेटिव एनर्जी छोड़ता है।
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चढ़ा हुआ प्रसाद क्यों तुरंत उठा लेना चाहिए
देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत उठा लेना चाहिए। ऐसा न करने पर विश्वकसेन, चण्डेश्वर, चन्डान्शु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है। वास्तु शास्त्र में ये थी चर्चा पूजा में प्रसाद या नैवेद्य के बारे में। उम्मीद है आप इस वास्तु टिप्स को अपनाकर जरुर लाभ उठाएंगे।