Chhath Puja 2022: शुक्रवार यानी 28 अक्टूबर से महापर्व छठ की शुरुआत हो रही है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व का खास महत्व होता है। नहाय खाय के साथ इस छठ शुरू होता है, जो कि पारण तक चलता है। छठ में साफ-सफाई का विशेष रूप से ख्याल रखना पड़ता है। इस पर्व में हर नियम का पालन करना अनिवार्य होता है। छठ में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं। वहीं छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस पूजा में व्रती महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं, जिसका भी खासा महत्व होता है।
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नाक तक सिंदूर लगाने के पीछे का महत्व
छठ पूजा में व्रती महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं। इसके साथ नाक तक सिंदूर भी जरूर लगाती हैं। ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल उठता है कि इसके पीछे ऐसी क्या मान्यता है। दरअसल, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। तो महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं उनके पति की आयु उतनी लंबी होती है। पति की दीर्घायु के लिए ही व्रती महिलाएं छठ के पावन मौके पर नाक तक सिंदूर लगाती हैं।
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सिंदूर लगाने का नियम
हिंदू धर्म में सिंदूर का महत्व काफी है, इसलिए इसे नियम के साथ ही लगाएं। कहा जाता है कि नहाने के बाद सबसे पहले सिंदूर लगाना चाहिए। वहीं सुहागिन महिलाओं को कभी भी खाली मांग नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि सिंदूर जितन लंबा रहेगा पति की आयु भी उतनी ही लंही होगी। यही वजह है कि तीज त्योहार पर विवाहित स्त्रियों को भर मांग सिंदूर लगाने के लिए कहा जाता है।
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