आज शाम 7 बजकर 23 मिनट तक स्वाती नक्षत्र रहेगा। आकाशमंडल में कुल 27 नक्षत्र स्थित हैं, जिसमें से स्वाती 15वां नक्षत्र है । स्वाती नक्षत्र का अर्थ है - स्वतः आचरण करने वाला, यानी स्वतंत्र। अतः इस नक्षत्र में जन्मे जातक भी बहुत स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं और खुलकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं। स्वाति नक्षत्र तुला राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की तुला राशि है उनका स्वाति नक्षत्र हो सकता है। स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है। देवी सरस्वती को सभी प्रकार की विद्या प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। तो चलिए अब जानते हैं कि स्वाति नक्षत्र वालों का स्वभाव कैसा होता है।
स्वतंत्रता के साथ ही स्वाति नक्षत्र को हमारे स्वभाव में कोमलता, आत्मनिर्भरता और संघर्ष की क्षमता के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। इस नक्षत्र के दौरान मुण्डन संस्कार, नामकरण और विद्या आरंभ करना अतिशुभ माना जाता है।
इसका प्रतीक चिन्ह अंकुर या पेड़ों पर आई नयी कोपलों को माना जाता है, जबकि इसका संबंध अर्जुन के पेड़ से बताया गया है। अतः जिस किसी व्यक्ति का जन्म स्वाती नक्षत्र में हुआ हो उन लोगों को आज के दिन अर्जुन के पेड़ को नमस्कार करना चाहिए।
स्वाति नक्षत्र वाले व्यक्ति को तुरंत निर्णय लेने में असुविधा होती है क्योंकि यह संतुलन को बहुत वरीयता देते हैं, जिसकी वजह से तुरन्त निर्णय नहीं ले पाते हैं। इन लोगों को अपने कम्युनिकेशन को कंप्लीट करने की आदत बनानी चाहिए। जैसे एक उदाहरण लेते हैं- यदि किसी को कोई काम कहें तो यह भी सुनिश्चित कर लें कि, जो काम आपने उसको बताया था वह काम पूरा हो गया है कि नहीं इसको कन्फर्म कर लें।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं)
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