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सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या एक ही दिन, जान लें कब और कैसे किया जाएगा श्राद्ध कर्म

साल 2024 में सर्वपितृ अमावस्या के दिन ही सूर्य ग्रहण भी है। ऐसे में पितरों के निमित्त किस समय आप श्राद्ध कर्म कर सकते हैं, आइए जाने हैं।

Written By : Chirag Bejan Daruwalla Edited By : Naveen Khantwal Published on: October 01, 2024 13:07 IST
Solar Eclipse - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या का संयोग

हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन किया गया तर्पण, पिंडदान पितरों को मोक्ष प्रदान करता है और उनकी आत्मा को तृप्ति देता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन उन सभी पूर्वजों के लिए पिंडदान या तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि याद नहीं है या किसी कारणवश पहले छूट गई थी। इसलिए इसे सभी पितरों की अमावस्या कहा जाता है। इस साल की सर्व पितृ अमावस्या बेहद खास है, क्योंकि इस दिन साल का आखिरी और दूसरा सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस दिन श्राद्ध करना शुभ होगा या नहीं। आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या की तिथि, किस शुभ मुहूर्त में करें तर्पण और इसका महत्व। 

सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या एक ही दिन

सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी लोगों का श्राद्ध भी किया जाता है जिनका श्राद्ध किसी कारणवश छूट जाता है, या जिनकी मृत्यु तिथि याद नहीं रहती। इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण का साया मंडरा रहा है, ऐसे में ग्रहण के दौरान कैसे होगा श्राद्ध, आइए जानते हैं।

इस समय किया जाएगा पितरों का श्राद्ध 

यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। इस ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। इस सूर्य ग्रहण का किसी भी तरह के धार्मिक कार्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस दिन पितरों का तर्पण करना बहुत महत्वपूर्ण है। तर्पण के लिए आप जल, कुशा और आहुति चढ़ा सकते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप 2 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं। दान-पुण्य करने के लिए सूर्यास्त तक का समय शुभ माना जाएगा। 

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या के दिन अंतिम श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सभी पितरों के नाम से श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। इस दिन उन सभी रिश्तेदारों के नाम से श्राद्ध किया जाता है जिनकी श्राद्ध तिथि ज्ञात नहीं है। सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि कर्म करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही आपके सभी भूले-बिसरे पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। जिसका शुभ फल यह होता है कि, आपके जीवन में सुख-समृद्धि आने लगती है आप जीवन में सफलता के पथ पर अग्रसर होते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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