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शनि ढैय्या और साढ़ेसाती कितने वर्षों तक रहती है? इस दौरान व्यक्ति को क्या करना चाहिए?

Shani Dosh: शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। कहते हैं कि जिस पर शनि देव की कृपा होती है उसके हर सुख मिलता है, जबकि शनि देव जिनसे नाराज रहते हैं उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

Written By: Vineeta Mandal
Published on: May 22, 2024 6:00 IST
Shani Dev- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Shani Dev

Shani Dosh And Remedies: हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि देव राशियों में भ्रमण करते हुए अपना प्रभाव छोड़ते हैं। इसे शनि की ढैय्या और साढ़े साती के नाम से जाना जाता है। शनिदेव के किसी भी राशि में रहने के प्रभाव को साढ़े साती और ढैय्या कहा जाता है। शनिदेव जिस राशि पर साढ़े सात साल तक प्रभाव डालते हैं उसे साढ़ेसाती कहते हैं और शनि की ढैय्या का प्रभाव व्यक्ति पर ढाई साल तक रहता है। जानिए शनि की साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव के बारे में।

साढ़ेसाती क्या है?

जब शनि देव 12वें भाव या राशि में भ्रमण करते हैं या किसी राशि के दूसरे भाव में रहते हैं तो उस राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव शुरू हो जाता है। आपको बता दें कि साढ़ेसाती का प्रभाव तीन चरणों का होता है, इस पूरे समय को ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में बांटा गया है। इस प्रकार साढ़ेसाती की कुल अवधि साढ़े सात वर्ष होती है।

शनि ढैय्या क्या है?

जब शनि किसी गोचर के दौरान जन्म राशि से चौथे या आठवें भाव में बैठता है तो इसे शनि ढैय्या का प्रभाव कहा जाता है। शनि ढैय्या की कुल अवधि ढाई वर्ष होती है। आपको बता दें कि आमतौर पर कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती और ढैय्या दोनों ही अशुभ और कष्टकारी होती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। देखा जाए तो कुंडली में शनि की स्थिति साढ़ेसाती और ढैय्या के शुभ और अशुभ प्रभाव को दर्शाती है।

शनि ढैय्या और साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को क्या करना चाहिए?

शनिदेव कर्म के अनुसार ही फल देते हैं इसलिए व्यक्ति कुछ विशेष कार्य करके शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है। प्रत्येक शनिवार शाम को शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे ढैय्या और साढ़े साती की परेशानियां कम हो जाती हैं। शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करनी चाहिए। शनिवार के दिन काली उड़द, काले कपड़े, सरसों का तेल, लोहा, गुड़ आदि का दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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