Shani Vakri: भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि, मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं। इनकी दिशा पश्चिम है, तो वहीं इनका तत्व वायु है। शनि एक शक्तिशाली ग्रह है जिसमें बाधा, विनाश और अवसाद की शक्ति भी है। शनि तपस्या, दीर्घायु, वृद्धावस्था, एकाग्रता, अनुशासन, प्रतिबंध सद्गति–दुर्गति और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है। आपको बता दूँ कि- जब शनि का गोचर चन्द्र राशि के आठवीं राशि में आता है, तो शनि की ढैय्या प्रारम्भ होती है, ढैय्या का अर्थ- ढाई वर्ष होता है। इस दौरान जो व्यक्ति तीर्थ यात्रा, स्नान और धर्म संबंधी कार्य करता है, तो उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अतः 29 जून 2024 को शनि के कुम्भ राशि में वक्री गोचर से विभिन्न राशि वालों पर क्या प्रभाव होगा, शनि उनके किस स्थान पर गोचर करेगा और उसके लिये क्या उपाय करने चाहिए, अब हम इसकी चर्चा करेंगे। बता दें कि शनि 15 नवंबर 2024 तक वक्री अवस्था में ही रहेंगे।
मेष राशि- वालों शनि आपके ग्यारहवें स्थान पर वक्री हुये हैं। जन्म पत्रिका के ग्यारहवें स्थान का सम्बन्ध हमारे आय तथा इच्छाओं की पूर्ति से होता है। शनि के इस गोचर से आपकी अधिकतर इच्छाओं की पूर्ति होगी । साथ ही आपकी आय में भी बढ़ोतरी होगी। समाज में भी आपका मान बढ़ेगा । अगर आप कोई नया काम करने की सोच रहें है तो बेझिजक शुरु कर सकतें है। आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी। लिहाजा शनि के शुभ फल बनाये रखने के लिये-“ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:” इस मन्त्र का 11 बार जप करें।
वृष राशि- वालों शनि आपके दसवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के दसवें स्थान का सम्बन्ध हमारे करियर, राज्य तथा पिता से होता है। शनि के इस गोचर से आपके पिता के स्वास्थ्य में थोड़ी दिक्कत आ सकती है। उनके सेहत का ख्याल रखें। इसके अलावा आपके जॉब या कार्यस्थल में व्यस्तता बढ़ने की सम्भावना है। लिहाजा शनि के अशुभ स्थिति से बचने के लिये- जरूरतमंद लोगों को आदरपूर्वक खाना खिलाएं।
मिथुन राशि- वालों शनि आपके नवें स्थान पर वक्री हुये है । जन्म पत्रिका के नौवें स्थान का सम्बन्ध हमारे भाग्य से होता है | शनि के इस गोचर से आपके होने वाले कामों में गति आ जायेगी । अगर आप किसी नये बिजनेस की शुरूआत करने की सोच रहे है तो बड़ों की राय जरूर लें भाग्य का साथ जरूर मिलेगा। आर्थिक पक्ष से जुड़ी समस्या हल होंगी । लिहाजा शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये घर की छत पर कोई भी लकड़ी का समान व्यर्थ में इकट्ठा न होने दें।
कर्क राशि- वालों शनि आपके आठवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्म पत्रिका के आठवें स्थान का सम्बन्ध हमारे आयु से है। शनि के इस गोचर से आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है । इसके अलावा आपको पिछले किसी बात का डर परेशान कर सकता है । लिहाजा शनि के अशुभ स्थिति से बचने के लिये-काली उड़द की दाल का दान करें।
सिंह राशि- वालों शनि आपके सातवें स्थान पर वक्री हुये है । जन्म पत्रिका के सातवें स्थान का सम्बन्ध हमारे जीवनसाथी से है। शनि के इस गोचर से आपके दाम्पत्य रिश्ते में थोड़ी नोक-झोंक हो सकती है । शांत रहकर ठंडे दिमाग से काम लें वरना बात का बतंगड़ बन सकता है। बेहतर होगा कि बिजनेस में सोच- समझकर फैसला लें। लिहाजा शनि के अशुभ स्थिति से बचने के लिये- भवन की दहलीज़ साफ रखें और उसकी पूजा करें।
कन्या राशि- वालों शनि आपके छठवें स्थान पर वक्री हुये है। जन्म पत्रिका के छठे स्थान का सम्बन्ध हमारे मित्र, शत्रु तथा स्वास्थ्य से है। शनि के इस गोचर से आपके मित्र से किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है। शत्रु पक्ष आपको परेशान करने की कोशिश कर सकता है। लिहाजा शनि के अशुभ स्थिति से बचने और शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- नारियल या बादाम बहते पानी में प्रवाहित करें।
तुला राशि- वालों शनि आपके पांचवें स्थान में वक्री हुये है । जन्म पत्रिका के पांचवे स्थान का सम्बन्ध हमारे संतान, बुद्धि, विवेक और रोमांस से है। शनि के इस गोचर के प्रभाव से छात्रों का पढ़ाई में मन लगेगा । शहर या देश से बाहर किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल सकता है। संतानपक्ष की ओर से कोई अच्छी खबर आपको मिलेगी । लवमेट के साथ अपना व्यवहार अच्छा रखें। लिहाजा शनि के शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- पैतृक घर की कोठरी में तांबे का घोड़ा या बंदर स्थापित करें।
वृश्चिक राशि- वालों शनि आपके चौथे स्थान में वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के चौथे स्थान का सम्बन्ध हमारे भवन, भूमि, वाहन तथा माता से है। शनि के इस गोचर से माता के स्वास्थ्य में थोड़ी गिरावट आ सकती है। अगर आप कोई नई जमीन लेने की सोच रहे हैं तो कुछ दिन रूक कर लें वरना परिणाम आपके इच्छा अनुसार नहीं होगा । लिहाजा शनि के अशुभ स्थिति से बचने के लिये- शनि की वस्तु जैसे काले कपड़े लोहे के बर्तन आदि का इस्तेमाल करें।
धनु राशि- वालों शनि आपके तीसरे स्थान में वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के तीसरे स्थान का सम्बन्ध हमारे पराक्रम, भाई-बहन तथा यश से है। शनि के इस गोचर से आप खुद को ताकतवर महसूस करेंगे। हावभावों में बदलाव आयेगा जिससे आप अपनी बात को अच्छे से रख पायेंगे। भाई-बहन के रिश्ते मजबूत होंगे, लेकिन जितना हो सके उनसे नोक-झोक एवॉएड करें। लिहाजा शनि के शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- घर की दहलीज़ पर कील लगायें।
मकर राशि- वालों शनि आपके दूसरे स्थान पर वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के दूसरे स्थान का सम्बन्ध हमारे धन तथा स्वभाव से है। शनि के इस गोचर से आपकी इनकम बढ़ सकती है। जब आप किसी से बात करें तो आवश्यकता से अधिक न बोलें वरना आपके बातों का गलत मतलब निकाला जा सकता है। उम्मीद से अधिक आप सेविंग कर पायेंगे । वाणी पर संयम फायदेमंद रहेगा। लिहाजा शनि के शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- मंदिर में दर्शन के लिये घर से नंगे पैर जायें।
कुंभ राशि- वालों शनि आपके लग्न स्थान यानि पहले स्थान पर वक्री हुये है। जन्म पत्रिका में लग्न यानि पहले स्थान का सम्बन्ध हमारे शरीर तथा मुख से है। शनि के इस गोचर से स्वास्थ्य संबंधी समस्या बन सकती है। अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं तो कई रूकावटों का सामना करना पड़ सकता है। घुटने या पैर में दर्द की समस्या बन सकती है। अतः शनि के शुभ स्थिति सुनिश्चित करने के लिये- तवा, चिमटा या अंगीठी का दान करें।
मीन राशि- वालों शनि आपके बारहवें स्थान में वक्री हुये है। जन्मपत्रिका के बारहवें स्थान का सम्बन्ध आपके व्यय तथा शय्या सुख से है। शनि के इस गोचर से आप शैय्या सुख का अनुभव करेंगे। अगर आप कई दिनों से किसी बात को लेकर परेशान चल रहे थे तो आप रिलैक्स महसूस करेंगे साथ ही आपको नींद अच्छे से आयेगी। कोई नई स्कीम या ऑफर लेने से पहले सोच-समझकर कदम बढ़ायें। लिहाजा शनि के शुभ फल सुनिश्चित करने के लिये- झूठ बोलने से बचें।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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