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Shani Chalisa Lyrics in Hindi: शनिवार को शनि चालीसा का करें पाठ, शनि देव होंगे प्रसन्न

Shani Chalisa: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा का पाठ करना अति शुभ माना जाता है। शनि चालीसा के पाठ से शनि की क्रूर दृष्टि शांत होती है और आपके जीवन में सुख समृद्धि आती है।

Written By: Naveen Khantwal
Published on: September 21, 2024 10:47 IST
Shani Chalisa- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shani Chalisa

Shani Chalisa: शनि महाराज को न्याय का देवता माना जाता है। शनि अच्छा कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम देते हैं, वहीं जो लोग धर्म के मार्ग पर नहीं चलते उनको पीड़ाएं शनि दे सकते हैं। ज्योतिष में भी शनि ग्रह का बड़ा महत्व है। इनकी दशा, अंतर्दशा के साथ ही ढैय्या और साढ़ेसाती का भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता। अगर किसी व्यक्ति का शनि खराब है तो उसे जीवन में बहुत अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन या फिर कम से कम शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करता है, तो जीवन में सुखद परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। शनि चालीसा के पाठ से भक्तों को सुख समृद्धि प्राप्त होने लगती है। 

शनि चालीसा का पाठ यदि आप प्रतिदिन करते हैं तो आपके जीवन में विघ्न बाधाएं नहीं आती। आपके काम बनने लगते हैं और करियर-कारोबार में आपको मुनाफा होता है। शनिवार के दिन शनि चालीसा के पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। शनि चालीसा का पाठ आप सुबह और शाम दोनों समय कर सकते हैं। पाठ करने से पहले स्वच्छ हो जाएं और काले रंग का आसन बिछाएं, इसके बाद शनि चालीसा का पाठ शुरू करना चाहिए। 

श्री शनि चालीसा

दोहा

जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।
करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।

चौपाई
जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।
सौरि मन्द शनी दश नामा।
भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।
रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।
पर्वतहूं तृण होई निहारत।
तृणहंू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहि दीन्हा।
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई।
मात जानकी गई चुराई।।
लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।
मचि गयो दल में हाहाकारा।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर को डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।
भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।
तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हो।
तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
वैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शकंरहि गहो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनि बिलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।
बची द्रोपदी होति उघारी।।
कौरव की भी गति मति मारी।
युद्ध महाभारत करि डारी।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।
लेकर कूदि पर्यो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।
गर्दभहानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।
लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्रा नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।
जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।
पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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