Shani Vakri: न्याय और कर्म के देवता माने जाने वाले शनि देव का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व है। व्यक्ति जैसा कर्म करता है शनि देव वैसा ही फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को सभी ग्रहों और नक्षत्रों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है। शनि देव की एक राशि में उपस्थिति ढाई साल तक रहती है। इसके बाद ही वे गोचर करते हैं। शनि इस समय अपनी राशि कुंभ में विराजमान हैं। बीते 30 जून 2024 को शनि कुंभ राशि में रहते हुए वक्री हो चुके हैं। वक्री का अर्थ है विपरीत दिशा में चलना। शनि की यह वक्री चाल 15 नवंबर 2024 तक रहेगी, जिसके बाद वे कुंभ राशि में ही मार्गी हो जाएंगे। ज्योतिषाचार्य चिराग दारूवाला आपको शनि के वक्री होने के प्रभावों के बारे में बताएंगे।
जानिए शनि के वक्री होने से क्या प्रभाव पड़ता है, ऐसी घटनाएं हो सकती हैं
- शनि अपने घर में करीब ढाई साल तक रहेंगे। जिससे यह परिवर्तन देश के लिए लाभकारी रहेगा।
- अनाज का अच्छा उत्पादन बेहतर होगा।
- बाजार में तेजी के आसार हैं।
- देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तरक्की करेगा।
- आतंकवादी घटनाएं बढ़ेंगी।
- उच्च पदों पर बैठे महत्वपूर्ण लोगों को सुरक्षा और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
- रोगों के उपचार में नए आविष्कार होंगे।
- नई दवाइयां और तकनीक विकसित होंगी।
- सत्ता और राजनीतिक संगठन में बदलाव होंगे।
- दुनिया के कई देशों में सीमा संबंधी तनाव देखने को मिलेगा।
- देश में आंदोलन, हिंसा, धरना-प्रदर्शन, हड़ताल, बैंक घोटाले, विमान दुर्घटनाएं, विमानों में खराबी, दंगे और आगजनी की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
- आग लगने की घटनाएं, भूकंप, गैस दुर्घटनाएं, भगदड़ और प्राकृतिक आपदाएं होने की संभावना है।
- शनि ग्रह के 29 जून से वक्री होने के बाद इस तरह की घटनाएं सामने आयी भी हैं। 2 जुलाई को हाथरस में बड़ी दुर्घटना हुई थी, इस दिन भगदड़ में 121 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इसके साथ ही देश विदेश से कई ऐसी घटनाएं शनि वक्री के बाद आयी हैं। भारी बारिश के कारण कई जगहों पर जानमाल का नुकसान भी हुआ है।
वक्री शनि भी देते हैं शुभ परिणाम
कुंभ राशि में शनि के वक्री होने से कुछ राशियों को शुभ परिणाम मिलेंगे। शनि को सभी नौ ग्रहों में से न्यायाधीश और कर्मफलदाता माना जाता है। शनि की चाल में बदलाव से सभी लोगों के जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
वहीं, कुछ राशियों के लोगों पर शनि के वक्री होने का शुभ प्रभाव देखने को मिल सकता है। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है या नई नौकरी के द्वार खुल सकते हैं। जीवनसाथी से प्यार मिल सकता है और यात्रा पर भी जा सकते हैं।
शनि का वक्री होना अशुभ माना जाता है क्योंकि
वक्री होने का मतलब है कि यह विपरीत दिशा में चलना शुरू कर देता है। जब यह वक्री होता है तो इसकी दृष्टि का प्रभाव अलग होता है। वक्री ग्रह अपनी उच्च राशि के बराबर परिणाम देता है। जब कोई ग्रह वक्री ग्रह के साथ युति करता है तो उसका प्रभाव मध्यम स्तर तक बढ़ जाता है। यह अपना फल धीरे-धीरे देता है और वक्री ग्रह के साथ-साथ चलता है। शनि का वक्री होना लोग प्रतिकूल मानते हैं क्योंकि अगर यह शुभ नहीं है तो आपके सभी कामों में बाधाएं आएंगी और आपका कोई भी काम समय पर पूरा नहीं होगा। आपको ज्यादातर नुकसान ही उठाना पड़ेगा। शनि जब वक्री होता है तो वह अधिक शक्तिशाली हो जाता है और राशियों पर इसका प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है। जिन राशियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है उन राशियों के जातकों को मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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