Wednesday, January 15, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. धर्म
  3. अगर कुंडली में शनि बना रहा है यह योग, तो परिवार को छोड़कर व्यक्ति बन सकता है साधु-संन्यासी

अगर कुंडली में शनि बना रहा है यह योग, तो परिवार को छोड़कर व्यक्ति बन सकता है साधु-संन्यासी

शनि को कुंडली में संन्यास का कारक ग्रह माना जाता है। शनि किस स्थिति में व्यक्ति को वैराग्य की ओर ले जा सकता है, आइए जानते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jan 15, 2025 12:58 IST, Updated : Jan 15, 2025 12:58 IST
Kundli me sanyas yog
Image Source : INDIA TV कुंडली में संन्यास योग

महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु और संन्यासी प्रयागराज के पवित्र घाट में डुबकी लगाने पहुंचे हैं। नागा साधुओं की वेशभूषा हमेशा से आम लोगों के लिए कौतुहल का विषय है। कड़कड़ाती ठंड में भी नागा साधु बिना वस्त्र के आसानी से जीवनयापन कर लेते हैं। हालांकि, ये नागा साधु सांसारिक दुनिया को छोड़कर ही संन्यास ग्रहण करते हैं। अपने तप से ये वो सिद्धियां हासिल कर लेते हैं कि ठंड और गर्म को सहने की क्षमता इनके शरीर में आ जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि कोई व्यक्ति आखिर साधु-संन्यासी बनता क्यों है? इसके पीछे व्यक्तिगत कारण कई हो सकते हैं, लेकिन ज्योतिष शास्त्र की मानें तो व्यक्ति की कुंडली में स्थिति शनि की कुछ विशेष स्थितियां इंसान को वैराग्य की ओर ले जाती हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कुंडली में शनि के वह कौन से योग हैं, जिन के होने से व्यक्ति के मन में विरक्ति का भाव जाग सकता है और वो संन्यासी बन सकता है। 

दुर्बल लग्न पर शनि की दृष्टि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति की कुंडली का लग्न बेहद महत्वपूर्ण होता है। इससे उसके स्वभाव के साथ ही उसकी मानसिक स्थिति और व्यवहार का पता चलता है। अगर लग्न मजबूत है तो व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने में परेशानियां नहीं आएंगी। ऐसा व्यक्ति सांसारिक जीवन में भी सफलता पाता है। वहीं वैराग्य के कारक ग्रह शनि की दृष्टि अगर लग्न पर पड़ रही है, और लग्न कमजोर है तो व्यक्ति के में मन में वैराग्य की भावना जागती है। ऐसा व्यक्ति सांसारिक जीवन में परेशान रहता है, वहीं साधु-संन्यासी बनकर उसे शांति की प्राप्ति होती है। 

कब होता है लग्न मजबूत- जब लग्न पर शुभ और कुंडली के मजबूत ग्रहों की दृष्टि है। लग्न का स्वामी त्रिक भाव (6,8,12) में नहीं है। लग्न का स्वामी केंद्र भाव (1,4,7,10) में शुभ स्थिति में है या फिर अपनी उच्च राशि में है। 

कब होता है लग्न कमजोर- जब लग्न का स्वामी कुंडली के त्रिक भावों (6,8,12) में हो। जब लग्न के स्वामी पर शनि, राहु, केतु जैसे अशुभ ग्रहों की दृष्टि हो। जब लग्न का स्वामी नीच राशि में हो। 

शनि की दृष्टि लग्न के स्वामी पर हो 

लग्न यानि पहले भाव का स्वामी कुंडली में कहीं पर भी हो और उसपर शनि की दृष्टि अगर पड़ रही है, तब भी व्यक्ति के अंदर विरक्ति के भाव जाग सकते हैं। ऐसा इंसान सांसारिक जीवन में घुल मिल नहीं पाता साथ ही उसका ध्यान एकांतवास की ओर भी होता है। इस स्थिति में भी व्यक्ति संन्यासी बन सकता है। 

नवम भाव में शनि 

कुंडली के नवम भाव को धर्म का भाव भी कहा जाता है। इस भाव में शनि अगर अकेला बैठा हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो संन्यास के प्रबल योग बनते हैं। ऐसा जातक धर्म के प्रति रुझान रखता है, साथ ही संसार के प्रति विरक्ति का भाव ऐसे व्यक्ति में बचपन से ही देखा जा सकता है। इस भाव में बैठा शनि व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत आगे ले जा सकता है। 

चंद्र स्वामी पर शनि की दृष्टि 

चंद्रमा जिस राशि में कुंडली में होता है उसे चंद्र राशि कहा जाता है। अगर चंद्र राशि का स्वामी कुंडली में दुर्बल है और उस पर शनि की दृष्टि है, तो व्यक्ति मोह माया के जाल में नहीं फंसता। ऐसा जातक अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ता है और साधु-संन्यासी बन सकता है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

ये भी पढ़ें-

Mahakumbh 2025: कैसे और क्यों की गई अमृत की खोज? महाकुंभ से सीधा है इसका संबंध; जानिए पौराणिक कहानी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ से लौटने के बाद घर में जरूर करें ये काम, सौभाग्य की होगी प्राप्ति

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement