सामुद्रिक शास्त्र में मनुष्य के शरीर के अंगों का उल्लेख किया गया है जिनके जरिए आपको इस व्यक्ति के व्यवहार और भविष्य के बारे में जानने में मदद मिलती है। किसी व्यक्ति के हाथ-पैर की बनावट व संरचना के माध्यम से उसके स्वभाव को जान सकते हैं। सामुद्रिक शास्त्र में आज आचार्य इंदु प्रकाश बता रहे हैं हाथों के बारे में। हमार दो हाथ होते हैं एक दायां और दूसरा बायां। ये दोनों दिखने में समान होते हैं लेकिन दोनों हाथों के अपने अलग-अलग काम और महत्व होते हैं। स्त्री और पुरुष के लिये भी दोनों हाथों का अलग-अलग महत्व है। पुरुषों का दाहिना हाथ पढ़ा जाता है जबकि ज्योतिष में स्त्रियों का बायां हाथ देखा जाता है।
दायां हाथ
दायां हाथ सही व्यक्तित्व का प्रदर्शक होता है। दाहिने हाथ से भविष्य की झलक देखी जा सकती है। यह हमें बताता है कि हमारे भविष्य में कौन-सी घटनाएं होंगी या हम कैसा जीवन व्यतीत करेंगे। किस चीज़ के लिये क्या हल होगा, इसके बारे में भी दायें हाथ के द्वारा पता लगाया जाता है। हमारा दाहिना हाथ बाईं ओर के मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होता है। बायें मस्तिष्क के द्वारा व्यक्ति के तर्क, बुद्धि और भाषा का ज्ञान होता है। दायां हाथ व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व, आत्म उद्देश्य, सामाजिक माहौल का प्रभाव, शिक्षा और उसके अनुभव को प्रतिबिंबित करता है।
बल बुद्धि और साहस का संपूर्ण रूप होते हैं मघा नक्षत्र में जन्मे लोग, कुंडली में होता है राजयोग
बांया हाथ
बांया हाथ व्यक्ति की संभावनाओं को प्रदर्शित करता है। बायां हाथ बताता है कि हम अपने साथ क्या-क्या लेकर पैदा हुए हैं जैसे आपने कई बार सुना होगा कि तुम तो अपनी किस्मत लिखवाकर आये हो या तुम बहुत भाग्यवान हो, यानि बांया हाथ ये बताता है कि ईश्वर ने आपको क्या दिया है और क्या नहीं। जिस प्रकार दायां हाथ भविष्य दिखाता है उसी प्रकार किसी का बायां हाथ उस व्यक्ति के अतीत का परिचय करवाता है। ये भी बता दूं कि हमारा बायां हाथ दाहिने मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रित होता है। हमारे मस्तिष्क का यह हिस्सा नमूने की पहचान, संबंधों की समझ-बूझ, व्यक्ति की खासियत, उसकी प्रकृति, गुण और समस्याओं के निदान का निर्धारण करता है। इसे एक तरह से व्यक्ति के आध्यात्मिक और व्यक्तिगत विकास का हिस्सा माना जा सकता है।