शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है और ज्योतिष में इन्हें क्रूर ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि इनकी क्रूर दृष्टि जिस पर पड़ जाए वो परेशानियों से घिर जाता है, वहीं इनकी शुभ दृष्टि व्यक्ति को फर्श से अर्श पर पहुंचा सकती है। आज के समय में जितना लोग शनि देव से डरते हैं शायद ही किसी और ग्रह से डरते हैं, लेकिन क्रूर ग्रह होने के बावजूद भी आखिर कैसे रावण ने शनि देव को बंदी बना लिया था, और बंदी बनाए जाने के पीछे वजह क्या थी, क्या आप जानते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में अपने इस लेख में जानकारी देंगे।
शनि अपने पुत्र को बनाना चाहता था सबसे महान
जब रावण के पुत्र मेघनाद का जन्म होने वाला था तो, रावण की ये इच्छा थी की वो सबसे महान हो। क्योंकि रावण ज्योतिष का भी प्रकांड विद्वान था इसलिए उसने अपने ज्ञान के बल पर ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी बनाई की सारे ग्रह मेघनाद को बल प्रदान करें। अपने ज्ञान के बल पर रावण ने शनि ग्रह को अपने वश में कर लिया। ग्रहों की ऐसी स्थिति का निर्माण रावण करना चाहता था कि जिसमें जन्म लेने वाला व्यक्ति अजय हो जाए।
जब सभी ग्रह रावण के वश में थे तो शनि देव की दृष्टि मेघनाद के जन्म के समय कुछ ऐसी टेढ़ी हुई कि जिसके कारण मेघनाद का वध हो सकता था। जब इस बात का पता रावण को चला तो वो क्रोधित हो उठा और उसने क्रोध में आकर शनि देव के पैर पर प्रहार कर दिया। माना जाता है कि तब से ही शनि देव लंगड़ाकर चलते हैं, और सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रहों में शनि सबसे आगे हैं। शनि देव से रावण इतना क्रोधित हो गया था कि उसने उन्हें बंदी भी बना लिया।
हनुमान जी ने किया शनि देव को बंधन से मुक्त
शनि देव को रावण के बंधन से मुक्ति कराने का काम हनुमान जी ने किया था। जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात कारागार में शनि देव से हुई। हनुमान जी ने शनि की मदद की और रावण की कैद से उन्हें छुड़वाया। माना जाता है कि तब शनि देव ने हनुमान जी से ये बात कही थी कि, मैं कभी भी आपके भक्तों को परेशान नहीं करुंगा। इसी वजह से शनि की क्रूर दृष्टि से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करने को कहा जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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