Rambha Tritiya 2024: आज रम्भा तृतीया का व्रत किया जायेगा। रम्भा तृतीया को रम्भा तीज के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल आज का दिन अप्सरा रम्भा को विशेष रूप से समर्पित है । आपको बता दूं कि मान्यताओं के अनुसार सागर मंथन से उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक रम्भा भी थीं। कहा जाता है कि रम्भा बेहद सुंदर थीं और इनके रूप पर सभी मोहित थें । इसी कारण से आज रम्भा तृतीया के दिन कई साधक रम्भा के नाम से साधना कर सम्मोहिनी शक्तियां प्राप्त करते हैं। यह साधना रात के समय लगातार 9 दिनों तक की जाती है। वैसे तो ये साधना पूर्णिमा, अमावस्या या शुक्रवार के दिन भी शुरू की जा सकती है, लेकिन साल में एक बार रम्भा तृतीया के दिन से इस साधना को शुरू करने पर विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
रंभा तृतीया पर साधना का लाभ
आपको बता दें कि रम्भा की साधना करने पर व्यक्ति के अंदर एक अलग ही तरह की आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है, जिससे वह किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है, उसे सम्मोहित कर सकता है और अपनी इच्छाओं को पूर्ण कर सकता है। कहते हैं सिद्धि प्राप्त करने पर रम्भा साधक के जीवन में एक छाया के रूप में सदैव साथ रहती है और साधक के जीवन को प्यार और खुशियों से भर देती है। इस व्रत को स्वयं देवी रम्भा ने सौभाग्य प्राप्ति के लिये किया था। अतः आप भी आज के दिन इस व्रत को करके सौभाग्य पा सकते हैं। आपको बता दूं कि सुहागिनों के साथ-साथ अविवाहित लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के लिये इस व्रत को कर सकती हैं।
कैसे करें साधना?
आज के दिन स्नान आदि के बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके ब्रह्मा, महाकाली, महालक्ष्मी, महामाया तथा सरस्वती के रूप में देवी रुद्राणी, यानि मां पार्वती का ध्यान करते हुए उनके सामने सौभाग्याष्टक नामक आठ द्रव्य रखने चाहिए, जो कि इस प्रकार हैं- थोड़ा-सा घी मिली हुई कोई भी एक दाल, केसर, दूध, जीवक, यानि कोई एक औषधि, दुर्वा, ईख, नमक और धनिया। इसके बाद देवी रुद्राणी की विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए।
साथ ही संभव हो तो आज के दिन किसी सुपात्र ब्राह्मण से सभी दिशाओं में हवन कराना चाहिए। फिर इन सब क्रियाओं के बाद किसी विवाहित ब्राह्मण और उसकी पत्नी को प्रसाद के रूप में कुछ खाने की वस्तु और दक्षिणा स्वरूप कुछ देकर, उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इससे आपके सुख-सौभाग्य में अवश्य ही वृद्धि होगी । अतः आप भी जीवन में प्यार और खुशियां पाना चाहते हैं, अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना चाहते हैं, तो आपको विधि-पूर्वक अप्सरा रम्भा की साधना जरूर करनी चाहिए।
रम्भा साधना के लिये आप सबसे पहले स्नान करके, साफ-सुन्दर कपड़े पहन कर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पीले रंग के आसन पर बैठ जायें । फिर अपने सामने पुष्पों की दो माला रखें और घी का एक दीपक जलाएं। वहीं पर सामने एक खाली धातु की कटोरी भी रखें । फिर दोनों हाथों में गुलाब की पंखुड़ियां लेकर परम रुपसी रम्भा का ध्यान करते हुए 108 बार "ह्रीं रम्भे आगच्छ आगच्छ" इन शब्दों से रम्भा का आवाहन करें। आवाहन के बाद 11 माला इस मंत्र का जप करें । मंत्र इस प्रकार है- ह्रीं ह्रीं रं रम्भे आगच्छ आज्ञां पालय पालय मनोवांछितं देहि रं ह्रीं ह्रीं।।
इस प्रकार जप के दौरान अपने ध्यान को विलास पूर्वक रम्भा के रूप में लगाये रखना चाहिए और पूजा स्थल को सुगंधित रखना चाहिए। इस प्रकार मंत्र जप और पूजा के बाद देवी का स्मरण कर उनसे सदैव अपने साथ रहने का अनुरोध करना चाहिए और इसी प्रकार नौ दिनों तक लगातार रम्भा की उपासना करनी चाहिए। आपको बता दूं कि इस साधना में चौथे दिन से कुछ-कुछ अनुभव होने लगते हैं और नौवे दिन साक्षात्कार का अनुभव होता है, लेकिन ध्यान रहे कि अपना अनुभव किसी से भी साझा नहीं करना चाहिए।
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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