Friday, November 15, 2024
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Raja Rajeswara Temple: श्री राजा राजेश्वर स्वामी मंदिर में कौनसे भगवान की पूजा होती है? यहां जानें क्या है इसकी मान्यता और खासियत

Raja Rajeswara Mandir: आज हम आपको यहां उस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि श्री राजा राजेश्वर स्वामी मंदिर कहां स्थित और इसकी क्या मान्यताएं हैं।

Written By: Vineeta Mandal
Updated on: May 08, 2024 12:07 IST
Raja Rajeswara Temple- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Raja Rajeswara Temple

Raja Rajeswara Temple: भारत समेत दुनिया के अलग-अलग कोने में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इन मंदिरों के लेकर लोगों की अलग-अलग मान्यताओं और गहरी आस्था जुड़ी हुई हैं। आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका अपने आप में एक इतिहास और महत्व है। हम बात कर रहे हैं श्री राजा राजेश्वली स्वामी मंदिर के बारे में, जो तेलंगाना के वेमुलावाड़ा शहर में स्थित हैं। दक्षिण भारत के अनेक शिव मंदिरों में इस मंदिर का प्रमुख स्थान है। तो चलिए जानते हैं श्री राजा राजेश्वर स्वामी के बारे में।

राजा राजेश्वरी मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

श्री राजा राजेश्वरी स्वामी मंदिर को दक्षिण का काशी और और हरि हर क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि 750 से 973 ईस्वी के दौरान श्री राजा राजेश्वरी स्वामी मंदिर का निर्माण परीक्षित के पोते राजा नरेंद्र ने किया था, जो अर्जुन के पोते थे। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, राजा नरेंद्र ने गलती से एक ऋषि के बेटे की हत्या कर दी थी। इस वजह से उन्हें कोढ़ हो गया। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, इसी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए राजा नरेंद्र ने धर्मगुंडम स्थित पुष्करणी तालाब में स्नान किया। उन्हें सपने में भगवान राज राजेश्वर और देवी राज राजेश्वरी ने दर्शन दिए। दोनों ने राजा नरेंद्र को एक मंदिर बनाने का आदेश दिया। इसके बाद परीक्षित ने पुष्करणी तालाब के पास ही शिव लिंगम की स्थापना की। बाद में परीक्षित के पोते राजा नरेंद्र ने 750 से 973 ईसवी के दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया। राजा राजेश्वर मंदिर में भगवान शिव को 'नीला लोहिता शिव लिंगम' के रूप में पूजा जाता है। लिंग पुराण में इस श्लोक में भगवान के नील लोहिता स्वरूप का वर्णन मिलता है।

श्री राजा राजेश्वरी स्वामी मंदिर का इतिहास

राज राजेश्वर मंदिर करीमनगर से 38 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर वेमुलावड़ा चालुक्यों की राजधानी में है, जिन्होंने 750 से लेकर 973 ईसवी तक यहां शासन किया। जिस गांव में यह मंदिर बना है, उसे लेमुलावाटिका कहा जाता है। मंदिर के पीठासीन देवता राज राजेश्वर स्वामी हैं, जिन्हें स्थानीय रूप से राजन्ना के नाम से जाना जाता है। राज राजेश्वर की प्रतिमा के दाहिनी ओर राज राजेश्वरी देवी की मूर्ति और बाईं ओर लक्ष्मी सहित सिद्धि विनायक की मूर्ति विराजमान है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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