Thursday, September 19, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. धर्म
  3. Pitru Paksha 2024 Tarpan: तर्पण कितने प्रकार के होते हैं? क्या है इसका महत्व, जानें पितरों का तर्पण कैसे करना चाहिए

Pitru Paksha 2024 Tarpan: तर्पण कितने प्रकार के होते हैं? क्या है इसका महत्व, जानें पितरों का तर्पण कैसे करना चाहिए

Tarpan Significance: देश के जाने-माने ज्योतिषी आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कि श्राद्ध में पितरों के तर्पण का क्या महत्व है। यह कितने प्रकार के होते हैं और तर्पण की सही विधि क्या है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: September 19, 2024 23:41 IST
Pitru Paksha 2024- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha 2024 Tarpan Significane: श्राद्ध में तर्पण का बहुत अधिक महत्व है। इससे पितर संतुष्ट व तृप्त होते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जिस प्रकार वर्षा का जल सीप में गिरने से मोती, कदली में गिरने से कपूर, खेत में गिरने से अन्न और धूल में गिरने से कीचड़ बन जाता है, उसी प्रकार तर्पण के जल से सूक्ष्म वाष्पकण- देव योनि के पितर को अमृत, मनुष्य योनि के पितर को अन्न, पशु योनि के पितर को चारा व अन्य योनियों के पितरों को उनके अनुरूप भोजन व संतुष्टि प्रदान करते हैं। साथ ही जो व्यक्ति तर्पण कार्य पूर्ण करता है, उसे हर तरफ से लाभ मिलता है। नौकरी में तरक्की मिलती है। बता दें कि तर्पण कर्म मुख्य रूप से छः प्रकार से किए जाते हैं-

  1. पहला- देव तर्पण
  2. दूसरा- ऋषि तर्पण
  3. तीसरा- दिव्य मानव तर्पण
  4. चौथा- दिव्य पितृ-तर्पण
  5. पांचवा- यम तर्पण
  6. आखिरी यानि छठवां- मनुष्य-पितृ तर्पण। 

 पितरों का तर्पण कैसे करना चाहिए?

श्राद्ध में किये जाने वाले तर्पण में एक लोटे में साफ जल लेकर उसमें दूध, जौ, चावल और गंगा जल मिलाकर तर्पण कार्य करना चाहिए। पितरों का तर्पण करते समय पात्र में जल लेकर दक्षिण दिशा में मुख करके बायां घुटना मोड़कर बैठें और जो जनेऊ धारक हैं, वे अपने जनेऊ को बायें कंधे से उठाकर दाहिने कंधे पर रखें और हाथ के अंगूठे के सहारे से जल को धीरे-धीरे नीचे की ओर गिराएं। जो अभी मैंने आपको तर्पण की मुद्रा बतायी, उस मुद्रा को पितृ तीर्थ मुद्रा कहते हैं। इसी मुद्रा में रहकर अपने सभी पितरों को तीन-तीन अंजलि जल देना चाहिए। तर्पण हमेशा साफ कपड़े पहनकर श्रद्धा से करना चाहिए। बिना श्रद्धा के धर्म-कर्म तामसी और खंडित होते हैं। इसलिए श्रद्धा भाव होना जरूरी है।

पितरों की पूजा का महत्व

समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता। पितरों की पूजा से मनुष्य आयु, पुत्र, यश, कीर्ति, स्वर्ग, पुष्टि, बल, श्री, सुख-सौभाग्य और धन- धान्य प्राप्त करता है । देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है। 

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

ये भी पढ़ें-

Neem Karoli Baba: रोज सुबह कर लें नीम करोली बाबा के बताए गए ये काम, सफलता चूमेगी कदम, जीवन बन जाएगा समृद्ध

पितृ पक्ष की नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को माना जाता है सबसे महत्वपूर्ण, जान लें क्या है इसकी वजह

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में हर तिथि का होता है विशेष महत्व, पितरों का श्राद्ध तिथि देखकर ही करें, तभी मिलेगा शुभ फल

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें धर्म सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement