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गया में पिंडदान का क्यों है इतना महत्व, पितरों की आत्मा के लिए कैसे ये नगरी बन गई मुक्ति का मार्ग?

गया में पिंडदान करना बेहद शुभ फलदायक माना जाता है। लेकिन आखिरी क्यों ये नगरी इतनी पवित्र माना जाती है, क्या आप जानते हैं? अगर नहीं तो आज इसी बारे में हम आपको जानकारी देंगे।

Written By: Naveen Khantwal
Published on: September 20, 2024 13:38 IST
Gaya- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL गया में पिंडदान का महत्व

पितृ पक्ष के दौरान हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा प्रकट करने के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं। इस दौरान कई लोग हरिद्वार, बनारस, ऋषिकेष जैसे तीर्थ स्थलों पर भी पिंडदान करते हैं। लेकिन सभी धार्मिक स्थलों में से एक गया को पिंडदान करने के लिए सबसे उचित स्थान माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, गया में पिंडदान और पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर कैसे गया पिंडदान के लिए इतना महत्वपूर्ण स्थल बन गया? अगर नहीं तो, आज हम आपको गया से जुड़ी उस पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे, जिसके कारण गया पिंडदान के लिए सबसे शुभ स्थान बन गया। 

गया से जुड़ी पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, एक समय में गयासुर नामक एक अत्यंत धार्मिक और पराक्रमी असुर था, जो अपनी तपस्या और प्रभु के प्रति अपनी भक्ति के कारण बेहद शक्तिशाली हो गया। उसकी भक्ति और पराक्रम से न केवल मनुष्य बल्कि देवता भी भयभीत होने लगे थे। एक बार उसकी  तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे एक वरदान दिया, जिसके तहत गयासुर को देखने भर से लोग पवित्र हो जाते थे और उनको स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी। गयासुर की इस शक्ति के कारण स्वर्ग लोक अव्यवस्थित होने लगा। 

इसके बाद देवता परेशान होकर भगवान विष्णु से मदद मांगने चले गए। भगवान विष्णु ने गयासुर से कहा कि, वो अपने शरीर को यज्ञ के लिए समर्पित करे। गयासुर ने बिन देर लगाए भगवान विष्णु के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिए। इसके बाद विष्णु भगवान ने गयासुर के शरीर पर यज्ञ किया। यज्ञ समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु ने गयासुर को मोक्ष प्रदान करने का वचन दिया और उसे यह आशीर्वाद भी दिया कि उसकी देह जहाँ-जहाँ फैलेगी, वो स्थान अत्यंत पवित्र हो जाएगा, और जो भी व्यक्ति उस स्थान पर अपने पितरों का पिंडदान करेगा, उसके पितृ जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करेंगे। माना जाता है कि जहां आज गया नगरी है, वहां गयासुर का शरीर पत्थर बनकर फैल गया था। यही वजह है कि इस स्थान का नाम गया पड़ा।  

भगवान विष्णु ने गयासुर को वरदान दिया था कि, जहां भी उसका शरीर फैलेगा वहां पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होगी। इसलिए आज भी गया में पिंडदान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस स्थान पर पितृपक्ष के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। 

गया में पिंडदान करने से क्या होता है

पूर्वजों की आत्मा को शांति: गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती, साथ ही वो सद्गति प्राप्त करते हैं। 

तीन पीढ़ियों का उद्धार: मान्यताओं के अनुसार गया में पिंडदान करने से तीन पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। यहां पितृ तर्पण करने से पितृ दोष से भी आपको तुरंत मुक्ति मिलती है। 
पितरों का आशीर्वाद: गया में अगर आप अपने पितरों का पिंडदान करते हैं, तो उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है और आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर होने लगती हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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