पितृ पक्ष के दौरान आने वाली कुछ तिथियों का विशेष महत्व है। इन्हीं तिथियों में से एक है नवमी तिथि, इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है और घर में सुख समृद्धि आती है। नवमी तिथि को सौभाग्यवती तिथि के रूप में भी जाना जाता है, इसीलिए नवमी तिथि को ही दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने का विधान है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि, किन परिस्थितियों में स्वर्गवासी हुई महिलाओं का इस दिन श्राद्ध किया जाना चाहिए, नवमी श्राद्ध का महत्व क्या है और साल 2024 में यह तिथि किस दिन है।
नवमी श्राद्ध तिथि 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि सितंबर 25 तारीख को दिन में 12 बजकर 10 मिनट से शुरू हो जाएगी। नवमी तिथि का अंत अगले दिन यानि 26 सितंबर को दिन के समय 12 बजकर 25 मिनट पर होगा। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, 26 सितंबर के दिन ही मातृ नवमी का श्राद्ध करना शुभ माना जाएगा। हालांकि, कुछ लोग 25 तारीख को 12 बजकर 10 मिनट के बाद भी मातृ नवमी का श्राद्ध कर सकते हैं, इसका कारण है तिथि का क्षय होना। इसलिए कुछ विद्वानों का मानना है कि 25 और 26 दोनों ही दिन मातृ नवमी का श्राद्ध किया जा सकता है।
मातृ नवमी तिथि का महत्व
मातृ नवमी के दिन मुख्य रूप से उन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु विपरीत परिस्थितियों में हुई हो या फिर जिनकी मृत्यु की तारीख ज्ञात न हो। कुछ लोग मातृ नवमी का श्राद्ध इसलिए भी करते हैं कि, परिवार की सभी मातृ परिजनों की आत्मा को शांति मिले। अगर किसी माता या बहन की मृत्यु दुख और विपदाओं का सामना करते हुए हुई है तो उनको भी इस दिन किए गए श्राद्ध से शांति मिलती है। आइए जानते हैं कि, मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से कैसे फल आपको प्राप्त हो सकते हैं।
- मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है।
- इस दिन श्राद्ध करने से मातृ ऋण से आपको मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही परिवार में सुखृ-समृद्धि आती है।
- मातृ नवमी का श्राद्ध करने से न केवल आपको शुभ फल प्राप्त होते हैं, बल्कि आपकी आने वाली पीढ़ियों पर भी कृपा बरसती है।
- पारिवारिक सद्भाव में भी इस दिन श्राद्ध करने से वृद्धि होती है।
- अगर आप भी अपनी दिवंगत माताओं और बहनों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आपको श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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