Pitra Dosh: पितरों को देव कहा जाता है। जिस तरह हम देवताओं की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, उसी तरह हम पितरों की दया पाने के लिए उनका तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं। अगर पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान ठीक से न किया जाए तो परिवार पितृ दोष से ग्रसित हो जाता है। इसके बाद उस परिवार के दिवंगत पूर्वज वहां रहने वाले परिवार के सदस्यों को कष्ट पहुंचाते हैं और इस कारण परिवार के सदस्यों का जीवन दूभर हो जाता है और परिवार में अशांति और क्लेश की स्थिति पैदा हो जाती है। इसलिए पितरों का तर्पण करना बहुत जरूरी है। ज्योतिषाचार्य चिराग दारूवाला से जानिए पितृ दोष के लक्षण और उपाय।
पितृ दोष कैसे लगता है?
पितृ दोष का सबसे पहला कारण है अपने पूर्वजों को तर्पण न करना। आत्मा अमर है, वह मरने के बाद भी जीवित रहती है। उनकी शांति के लिए उनकी पुण्यतिथि पर या श्राद्ध के समय उन्हें तर्पण किया जाता है। वैसे तो हर दिन तर्पण करने का नियम है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में यह अवश्य करना चाहिए। कुछ परिस्थितियों में परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों को तर्पण नहीं कर पाते हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। वहीं, जातक की कुंडली में सूर्य, राहु और शनि की स्थिति भी पितृ दोष का कारण बनती है।
पितृ दोष के लक्षण
- पितृ दोष के कारण परिवार की तरक्की में बाधा आती है और घर में हमेशा क्लेश की स्थिति बनी रहती है।
- विवाह और संतान से जुड़ी समस्याएं आने लगती हैं।
- परिवार के सदस्यों पर हमेशा कलंक लगने का डर बना रहता है और समाज में उन्हें सम्मान नहीं मिलता।
- बच्चे बुरे आचरण वाले हो जाते हैं।
- पहले से बने काम भी विफल हो जाते हैं।
- व्यापार में सफलता नहीं मिलती और परिवार में हमेशा क्रोध और द्वेष बना रहता है।
पितृ दोष निवारण के उपाय
पितृ पक्ष में अमावस्या के दिन श्राद्ध या घर में कोई भी शुभ कार्य होने पर पितृ तर्पण का विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है। इन शुभ अवसरों पर लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि पितृ देवों का तर्पण विधिपूर्वक करने से परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत भी रखा जा सकता है। सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार पितरों का श्राद्ध कर्म और तर्पण परिवार के मुखिया या सबसे बड़े पुत्र को ही करना चाहिए। यदि पुत्र न हों तो घर के अन्य व्यक्ति जल के माध्यम से पितरों का तर्पण कर सकते हैं। पितरों का तर्पण सुबह करें, लेकिन दोपहर में ही ब्राह्मणों को भोजन कराएं, शाम को या उसके बाद ऐसा नहीं करना चाहिए, ऐसा हमारे शास्त्रों में विधान है। पितरों का तर्पण और श्राद्ध कभी भी किसी दूसरे की जमीन पर नहीं करना चाहिए।
अगर आपका अपना घर नहीं है तो किसी मंदिर, तीर्थ स्थान या नदी के किनारे तर्पण करें। पितृ तर्पण या श्राद्ध के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। इस दिन केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए, ऐसा न करने से धन की हानि होती है, पितृ देवता नाराज हो जाते हैं और सारे कर्मकांड व्यर्थ हो जाते हैं। इसलिए अवसर पाकर ब्राह्मणों के माध्यम से वैदिक रीति से पितृ देव को तर्पण देना चाहिए।
पितृ दोष निवारण हेतु तर्पण के लाभ
- तर्पण से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं तथा जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
- पितृ देवता के आशीर्वाद से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
- नौकरी, व्यापार, वैवाहिक जीवन तथा संतान से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।
- पारिवारिक जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि बढ़ती है।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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