भगवान परशुराम के भारत में बहुत कम ही मंदिर है। इनमें से एक बिहार के मोकामा में स्थित है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना माना जाता है। स्थानिय लोगों का मानना है कि मोकामा में परशुराम मंदिर तपस्या करने आए थे और अनादिकाल से वो यहीं हैं। इस मंदिर से जुड़े कई रोचक तथ्य आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे।
मुगल राजा ने ली थी परशुराम जी की परीक्षा
मोकामा में स्थित परशुराम मंदिर के बारे में एक कहानी वहां के स्थानीय लोगों में काफी प्रचलित है। इस कहानी के अनुसार एक बार एक मुगल राजा ने मंदिर के पास से गुजरते हुए ढोल की आवाज सुनी, उस समय मोकामा के परशुराम मंदिर में भक्त बाबा की पूजा में लीन थे। आवाज सुनते ही वह राजा मंदिर में गया और पूजा को आडंबर बताया। मंदिर के पुजारी ने राजा को समझाया कि, आप हमें पूजा करने दें और जो काम आप करने आए हैं वो करें। पुजारी की बात से क्रोधित हुए राजा ने एक गाय को मंदिर के प्रांगण में ही मार दिया और कहा कि, अगर सच में ही तुम्हारा भगवान है तो वो इस गाय को जिंदा करके दिखाए।
इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करते हुए, पुजारी ने गाय पर पानी छिड़का और गाय जिंदा हो गई। पास ही खड़ा गाय का बछड़ा गाय का दूध पीने लगा। ये देख वो मुगल राजा चकित हो गया और वहां से जाने लगा। उसे रोककर पुजारी ने कहा कि तुमने भगवान परशुराम की परीक्षा ली है इसलिए अब इसका फल भी सुनते जाओ। पुजारी ने राजा से कहा कि, जहां से तुम आये हो वह जगह नष्ट हो जाएगी। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि, ऐसा हुआ भी। तब से लोगों की आस्था भगवान परशुराम में और भी बढ़ गई।
रात में नहीं है मंदिर में रुकने की आज्ञा
ऐसा माना जाता है कि, मोकामा के इस परशुराम मंदिर में किसी को भी रात के समय रुकने की इजाजत नहीं है। मान्यताओं के अनुसार रात के समय परशुराम जी मंदिर के आसपास विचरण करते हैं। रात के समय अगर इस मंदिर में कोई जाता है तो वो मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है या पूरी तरह से पागल हो जाता है, क्योंकि उसे ऐसे अनुभव होते हैं जिनकी वो कल्पना भी नहीं कर सकता। यही वजह है कि किसी को भी यहां रात के समय नहीं जाने दिया जाता।
मंदिर में स्थित है पेड़ से जुड़ी मान्यता
परशुराम जी के इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ स्थित है। इस पेड़ को लेकर कहा जाता है कि, परशुराम जी तब तक मोकामा के इस मंदिर में हैं जब तक पीपल का ये पेड़ हरा है। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस पेड़ के सूखने के बाद बाबा परशुराम भी यहां से चले जाएंगे।
अक्षय तृतीया के दिन होता है भव्य महोत्सव
सच्चे मन से जो भी भक्त परशुराम जी के इस मंदिर में जाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भारत ही नहीं विदेशों से भी यहां भक्त परशुराम जी के दर्शन करने आते हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्मोत्सव यहां धूमधाम से मनाया जाता है। परशुराम महोत्सव को बिहार सरकार के द्वारा राजकीय महोत्सव का दर्जा भी प्राप्त है। परशुराम जन्मोत्सव की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन से होती है और 7 दिनों तक यह चलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-