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Muharram 2024: आज है मुहर्रम, जान लें इस त्योहार को क्या करते हैं मुस्लिम समाज के लोग, क्यों खास है ये दिन?

Muharram 2024: मुहर्रम का त्योहार साल 2024 में 17 जुलाई को है। यह दिन मुस्लिम समाज के लोगों के लिए क्यों खास है आइए जानते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Updated on: July 17, 2024 10:48 IST
Muharram 2024:- India TV Hindi
Image Source : FILE Muharram 2024

Muharram 2024: मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए मुहर्रम का त्योहार बहुत खास माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम ही है, इसलिए भी मुस्लिम समुदाय वालों के लिए यह महीना खास बन जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग मुहर्रम महीने के दसवें दिन को आशूरा के रूप में मनाते हैं। साल 2024 में 17 तारीख को आशूरा है। आइए जानते हैं कि इस दिन को इतना खास क्यों माना जाता है। 

क्यों खास है मुहर्रम

इस्लाम में रमजान के महीने के बाद मुहर्रम को ही सबसे पवित्र माह माना जाता है। इस दिन अंतिम पैगंबर मुहम्मद के पोते हज़रत इमाम हुसैन की शहादत का मातम शिया समुदाय के लोगों के द्वारा मनाया जाता है। साल 2024 में यह दिन 17 जुलाई को है। हालांकि आशूरा 16 जुलाई की शाम से शुरू हो जाएगा। भारत में भी मुहर्रम का त्योहार 17 जुलाई को ही मनाया जाएगा। 

शिया मुस्लिम निकालते हैं ताजिए

मुस्लिम समुदाय में शिया पंथ के अनुयायी आशूरा के दिन काले कपड़े पहनते हैं और ताजिए (जुलूस) निकालते हैं। इस दिन लोग खुद को घायल करके इमाम हुसैन की शहादत का दुख व्यक्त करते हैं। हालांकि सुन्नी समुदाय के लोग ताजिए नहीं निकालते बल्कि इस दिन इबादत करते हैं। शिया समुदाय वाले लोग जहां इमाम हुसैन की शहादत का मातम मुहर्रम महीने में मनाते हैं, वहीं सुन्नी मानते हैं कि इस दौरान की गई इबादत करने से अल्लाह की इनायत बनी रहती है। 

मुहर्रम क्यों मनाते हैं?

मुहर्रम के महीने में अपने 72 साथियों के साथ इमाम हुसैन कर्बला में शहीद हो गए थे। जिस दिन वो शहीद हुए वो मुहर्रम महीने का दसवां दिन था। यही वजह है कि हर साल मुहर्रम महीने के 10वीं तारीख को इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया जाता है। शिया समुदाय के लोग इस दिन जुलूस निकालकर अपने दुख प्रकट करते हैं। खुद को आहत करके लहुलुहान भी इस दिन कई लोग हो जाते हैं। इस्लाम धर्म में ताजिए को हजरत इमाम हुसैन की कब्र माना जाता है, इस ताजिए को लोग सोना,चांदी, स्टील आदि से बनाते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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