हमारी चिंताएं हमारे मन में रहती हैं और जब हम भगवान के घर के सामने सिर झुकाकर माथा टेकते हैं तो वह चिंताएं हमारे मन से गिरकर भगवान के चरणों में पहुंच जाती हैं और हम चिंताओं के बोझ से मुक्त हो जाते हैं। इसके अलावा मंदिर में घंटी बजाने से पहले भी सभी भक्त उसके प्रवेश द्वार पर या सीढ़ियों पर माथा टेकते हैं। जिन धार्मिक स्थानों या मंदिरों में प्रतिदिन घंटियों की ध्वनि सुनाई देती है, ऐसे मंदिरों को जागृत देव स्थान या जागृत मंदिर कहा जाता है।
ऐसे स्थानों पर या ऐसे मंदिरों के प्रवेश द्वार पर घंटी बजाने से भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है। यही प्रक्रिया हम अपने घरों के पूजा स्थलों यानी मंदिरों में पूजा के बाद भी करते हैं। इसे सिर्फ अंधविश्वास या मान्यता न समझें। बल्कि यह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रूप से सिद्ध प्रक्रिया है और प्राचीन काल से चली आ रही है और हर भक्त इसका पालन करता आ रहा है।
इन बातों का रखें खास ख्याल
- पूजा करते समय कभी भी भगवान को एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए भगवान को प्रणाम हमेशा दोनों हाथ जोड़कर करना चाहिए।
- इसके अलावा शास्त्रों में यह बताया गया है कि अपने पिता और बड़े भाई को हमेशा लेटकर प्रणाम करना चाहिए और माता के सामने झुककर प्रणाम करना चाहिए।
- पूजा करते समय मन को हमेशा पवित्र रखें। कहा जाता है कि पूजा के दौरान मन में बुरे ख्याल रखने से पूजा का फल नहीं मिलता है।
- पूजा करने से पहले हमेशा पहले संकल्प लें और फिर पूजन शुरू करें।
- स्त्री हो या फिर पुरुष पूजा के समय दोनों को ही सिर ढककर ही पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय अपना चेहरा पूर्व और उत्तर में से किसी भी दिशा में रखें।
- वहीं पूजा के समय घंटी, धूप और दीप दाएं हाथ पर रखें होने चाहिए।