Mahakumbh 2025: महाकुंभ का शुभारंभ प्रयागराज में हो चुका है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस पवित्र मेले में करोड़ों की संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही नागा साधुओं के अखाड़ों ने भी पहले अमृत स्नान के दिन डुबकी लगाई और आम लोगों के ध्यान को अपनी ओर खींचा। सत्य की खोज और धर्म की रक्षा के लिए कठोर तप करने वाले नागा साधु कुंभ मेले के अलावा इतनी अधिक संख्या में कभी भी एक साथ नहीं दिखते हैं। ज्यादातर, नागा साधु एकांत में वास करते हैं और साधना करते हैं। हर नागा साधु किसी न किसी अखाड़े से जुड़ा होता है और उस अखाड़े के प्रमुख के द्वारा ही उन्हें दीक्षा दी जाती है। एक बार पूर्ण रूप से दीक्षित होने के बाद नागा साधु अखाड़े का सदस्य बन जाता है। हालांकि, कुछ ऐसी स्थितियां भी हैं जिनमें नागा साधु की सदस्यता को अखाड़े के द्वारा रद्द कर दिया जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि, किन स्थितियों में नागा साधु की सदस्यता रद्द हो जाती है।
नागा साधुओं को करना होता है कड़े नियमों का पालन
सांसारिक जीवन त्यागकर जब कोई व्यक्ति नागा साधु बनने के लिए आता है तो उसकी कठोर परीक्षा ली जाती है। सबसे पहले उसे गुरु चुनना होता है और उसके बाद कई वर्षों तक उनकी सेवा करनी होती है। इसके बाद गुरु की कृपा से उसकी दीक्षा का आरंभ होता है। गुरु की आज्ञा पर ही नागा साधु लगभग 12 वर्षों तक हिमालय की ऊंची चोटियों पर बैठकर साधना करता है। नागा साधु बिना कपड़ों के दिन में एक बार खाना खाकर साधना करते हैं। ऐसे में कई साधु, नागा संन्यासी बनने से पहले ही हार मान जाते हैं। जो अंतिम परीक्षा में पास होते हैं उन्हें ही नागा संन्यासी बनने का मौका मिलता है और अखाड़े की सदस्यता मिलती है। सदस्यता मिलने से पहले भी उनके चरित्र, स्वभाव आदि की जांच पड़ताल की जाती है। तीन ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से किसी नागा साधु की सदस्यता रद्द हो सकती है।
इन तीन स्थितियों में अखाड़े से नागा साधु की सदस्यता होती है रद्द
- नागा साधु की सदस्यता रद्द होने की सबसे पहले और स्वाभाविक वजह है, मृत्यु। अगर किसी नागा साधु की मृत्यु हो जाती है तो वह अखाड़े का सदस्य नहीं रह जाता। इसके बाद नागा साधु के प्रति अखाड़े की कोई जिम्मेदारी नहीं होती। हालांकि नागा साधुओं का अंतिम संस्कार अखाड़े के द्वारा ही किया जाता है। उन्हें मृत्यु के बाद जल या थल समाधि दी जाती है। नागा साधुओं का दाह संस्कार नहीं होता।
- नागा साधु बनने से पूर्व भी और उसके बाद भी अखाड़े के द्वारा उनके चरित्र पर नजर रखी जाती है। अगर किसी भी नागा साधु में कोई चारित्रिक दोष पाया जाता है, तो उनकी सदस्यता भी अखाड़े से रद्द कर दी जाती है। एक बार सदस्यता रद्द हो जाने के बाद नागा साधु को वापस अखाड़े में जगह नहीं मिलती।
- नागा साधु बनने के लिए कठोर तप और परिश्रम करना पड़ता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कई साधु विक्षिप्त भी हो जाते हैं, यानि मानसिक रूप से उनमें विकार आ जाता है। मानसिक विकृति या किसी नागा साधु के पागल हो जाने पर भी अखाड़ा उसकी सदस्यता को रद्द कर देता है। हालांकि सदस्यता रद्द करने के बाद ऐसे साधुओं के उपचार की व्यवस्था कर दी जाती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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