प्रयागराज में हो रहे सबसे बड़े धार्मिक त्योहार महाकुंभ को लेकर इंडिया टीवी आपके लिए स्पेशल शो 'सत्य सनातन' कॉन्क्लेव लेकर आया है। इस शो में ISKON के अमोघ लीला दास प्रभु पहुंचे हैं, जिन्होंने धर्म को लेकर कई बातें लोगों को बताई। उन्होंने कहा कि कुंभ हमारे लिए सेवा का महोत्सव है, साथ ही उन्होंने कहा कि पढ़े लिखे लोगों को भी साधु बनना चाहिए।
IIT और IIM वालों को भी साधु बनने चाहिए
अमोघ लीला दास प्रभु ने कहा कि कुंभ हमारे लिए सेवा का महोत्सव है। इस्कॉन वहां भागवत गीता बांटता है। इस्कॉन कुंभ में प्रसादम की व्यवस्था भी करता है। कुंभ में साधु संतों की सेवा का सौभाग्य मिलता है। आगे कहा कि IIT और IIM वालों को भी साधु बनने चाहिए। कुछ लोगों को नौकरी में जरूर जाना चाहिए, पर कुछ को प्रभु सेवा भी करनी चाहिए। आगे कहा कि साधु समाज के अंदर भी कुछ नौटंकीबाज इस कारण पढ़े लिखे लोगों को साधु भी बनने चाहिए, इसलिए पढ़-लिखे लोगों को भी साधु बनने चाहिए। लोगों को ब्रह्मचारी बनना चाहिए, इस्कान में 99.9 प्रतिशत लोग गृहस्थ हैं, इसलिए मैं कहता हूं कि विलुप्त होने वाली प्रजाति का नाम ब्रह्मचारी है।
'अगर मस्जिद के नीचे मंदिर है तो बनना चाहिए'
उन्होंने आगे कहा कि भारतीयों को वैदिक कल्चर पहचानने की जरूरत है। निस्वार्थ जीवन जीना और बिंदास रहना है तो नान + वेज खाइए...नॉनवेज नहीं। अगर मस्जिद के नीचे मंदिर है तो बनना चाहिए। हम मुस्लिम के विरुद्ध नहीं वो भी अपनी पूजा अर्चना करें। जहां पहले मंदिर थे वहां मंदिर आने चाहिए। कुछ विशेष जगहों पर मंदिर जरूर बनना चाहिए।
देश में सेकुल्यरिज्म की गलत
उन्होंने देश के सेकुलर को लेकर भी कहा कि देश में सेकुल्यरिज्म की गलत परिभाषा दी गई। सेकुल्यरिजम का मतलब सभी धर्म को समान, लेकिन देश में हिंदू को छोड़कर बाकी धर्मों को प्रोत्साहन मिल रहा। देश में सबकी आस्था का ध्यान रखा जाना चाहिए। सेकुलरिज्म परिभाषा के अनुसार नहीं है। सनातन संस्कृति को पढ़ाने का अधिकार होना चाहिए।
अमोघ प्रभु ने बांग्लादेश के मुद्दे पर भी बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश में जब-जब कोई क्राइसिस आई तो इस्कॉन ने लोगों की सेवा की और सनातन की प्रचार किया। हम पर झूठे आरोप लगाए गए। मैं 2-3 साल पहले बांग्लादेश गया था, वहां मेरा अच्छे से वेलकम हुआ और कथा सुनने वालों में मुस्लिम भी थे। हमने सबको प्रसादम खिलाया।
अमोघ प्रभु ने आगे कहा कि सबसे ज्यादा किसी देश ने अल्पसंख्यक लोगों की सेवा की, तो वह भारत है। सऊदी अरब में भी मस्जिद तोड़े जाते हैं, लेकिन हमारे देश में इस पर बवाल हो जाता है। हालांकि, परिभाषा के मुताबिक, जो 3 प्रतिशत हो उन्हें ही अल्पसंख्यक होना चाहिए, लेकिन जो 20 प्रतिशत हैं वह भी यहां अल्पसंख्यक हैं।