Kumbh Mela 2025: महाकुंभ मेले में हजारों की संख्या में नागा साधु हिस्सा लेते हैं। नागाओं के प्रवेश के साथ ही प्रयागराज में भी माहौल जीवंत हो चुका है। नागा साधओं की रहस्यमयी दुनिया को देखकर हर व्यक्ति ही अचंभित और आश्चर्यचकित होता है। इसी बीच नागा साधुओं के पंचायती अटल अखाडे से एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है जो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। दरअसल इस तस्वीर में एक 10 साल से कम उम्र का बच्चा नागा साधुओं की वेशभूषा में नजर आ रहा है।
नागा साधु की वेशभूषा में दिख रहे इस बच्चे को लेकर हर किसी के मन में ये सवाल उठ रहा है कि, आखिर इतना छोटा बालक कठोर तप करने वाले नागाओं के बीच क्यों है। खास बात ये है कि इस बच्चे के चेहरे पर किसी भी प्रकार की शिकन नहीं है, नागाओं के बीच प्रफुल्लित मुद्रा में आप इस बच्चे को देख सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, क्या बच्चे भी नागा साधु बन सकते हैं? अगर ये सवाल आपके मन में भी उठा है तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
क्या बच्चे भी बन सकते हैं नागा साधु?
नागा साधुओं के अखाड़े में बच्चे भी देखे जाते हैं। यानि बच्चों को भी नागा साधु दीक्षा देते हैं, नागा साधु बनने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। हिंदू धर्म के ये रहस्यमयी साधु छोटे बच्चों को भी अपने अखाड़ों में रखते हैं। कई माता-पिता अपनी इच्छा के अनुसार 10-12 महीने के छोटे शिशु को भी नागा साधुओं को भेंट कर देते हैं। इसके बाद नागा साधु ही इन बच्चों की देखरेख करते हैं। बच्चों की शिक्षा और लालन-पालन की पूरी जिम्मेदारी नागा साधुओं की ही होती है। वक्त के साथ-साथ इन बच्चों को शिक्षा भी दी जाती है, लेकिन इनका लक्ष्य स्पष्ट होता है कि बड़े होने पर ये नागा साधु ही बनेंगे। अगर बच्चा 10 साल से कम उम्र में बाल साधु बनने आता है, तो उसको प्रारंभिक शिक्षा भी अखाड़ों के द्वारा दी जाती है।
अगर बाल नागा साधु की उम्र 5 साल से अधिक है, तो उसे गुरु द्वारा दीक्षा दी जानी शुरू कर दी जाती है। बच्चे को दीक्षा ग्रहण करने के साथ ही अपने गुरु की सेवा और उनकी बातों का पालन भी करना पड़ता है। इसके साथ ही भक्ति-भजन आदि में भी बच्चा शामिल होता है। 10-12 साल की उम्र के बाद बच्चे का असली तप शुरू होता है, इसके बाद गुरु शिष्य को दिगंबर रहने की सीख देता है। यह बाल साधु जब 16-17 साल की उम्र पार करता है, तो हिमालय में 12 साल की कठिन तपस्या इसे करनी होती है। इसके बाद गुरु की अनुकंपा से अंत में 'सिद्ध दिगंभर' की पदवी नागा साधु को गुरु के द्वारा दी जाती है। एक नागा साधु के लिए सिद्धि दिगंबर सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
बाल नागा भी होते हैं चमत्कारी
बाल नागा साधुओं को अखोड़ों में देखकर भले ही लोग अचंभित हों, लेकिन माना जाता है कि बाल नागा साधु को सिद्धि मिलनी ज्यादा आसान होती है। इसका कारण यह है कि बच्चा मोह-माया के बंधनों से मुक्त होता है। इसीलिए कम उम्र का बच्चा दीक्षा ग्रहण भी जल्दी करता है और तप का फल भी उसे शीघ्र मिल जाता है। बच्चों का शरीर लचीला होता है, जिसके चलते योग आसनों में ये बहुत जल्दी महारत हासिल कर लेते हैं। इनके ध्यान को गहराई भी जल्दी प्राप्त हो जाती है। कई ऐसे बाल नागा साधु भी हैं, जिनके पास चमत्कारी शक्तियां हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-