Chandra Grahan 2023: आज आश्विन पूर्णिमा के दिन खग्रास चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण इस वर्ष का चौथा और आखिरी ग्रहण होगा। बता दूं कि जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा क्रमशः एक ही सीध में होते हैं या चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है, तब चंद्र ग्रहण लगता है और अबकी बार चंद्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की प्रच्छाया से ढका हुआ रहेगा। अतः यह खग्रास चंद्र ग्रहणहोगा। मेष राशि और आश्विनी नक्षत्र पर लगने वाला यह ग्रहण खण्डग्रास रूप में पूरे भारतीय परिक्षेत्र के अलावा सम्पूर्ण एशिया, यूरोप, अफ्रीका, पश्चिम-दक्षिण प्रशांत महासागर, अमेरिका के पूर्वी भाग, अटलांटिका महासागर तथा हिंद महासागर में दिखेगा। चंद्रास्त के समय आस्ट्रेलिया, उत्तरी प्रशांत महासागर, रूस के पूर्वी क्षेत्र में ग्रहण का स्पर्श काल होगा। चंद्रोदय के समय ग्रहण का मोक्ष उत्तर एवं दक्षिण अटलांटिका महासागर, ब्राजील का पूर्वी क्षेत्र और कनाडा में दिखलाई पड़ेगा।
सूतक काल का समय और जरूरी बातें
बता दें कि भारतीय समयानुसार इस चन्द्र ग्रहण का स्पर्श काल काशी में आज देर रात 1 बजकर 5 मिनट पर होगा, जबकि इसका मोक्ष काल देर रात 2 बजकर 24 मिनट पर होगा। अतः इस ग्रहण का कुल पर्वकाल 1 घंटा 19 मिनट का होगा, जबकि इसका सूतक आज शाम 4 बजकर 5 मिनट से ही शुरू हो जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण प्रारंभ होने के 9 घंटे पहले लग जाता है। ग्रहण के सूतक के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। ग्रहण के दौरान चारों तरफ निगेटिविटी बहुत अधिक फैल जाती है, जिसका असर ग्रहण प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों पर भी पड़ता है। इसलिए सूतक लगने पर घर में सभी पानी के बर्तन में, दूध में और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए।
माना जाता है कि ग्रहण में वातावरण की किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। इसीलिए ग्रहण और सूतक काल में कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है। क्योंकि किरणों का नकारात्मक प्रभाव खाने-पीने की सामग्री पर पड़ता है, जिसके सेवन से स्वास्थ्य प्रभावित होता है। हालांकि बच्चों, बुजुर्गों और जिनका स्वास्थ्य ठीक न हो उनके लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है। साथ ही जो सामग्री बनी रखी है उसमें तुलसी का पत्ता डालने के लिए कहा जाता है। तुलसी में पारा होता है। इसके चलते किसी प्रकार की किरणों का प्रभाव नहीं पड़ता है। मान्यता है कि नकारात्मक ऊर्जा तुलसी के पास आते ही निष्क्रिय हो जाती है। तुलसी के पत्ते जिन चीजों में पड़ी रहती है उनमें किरणों का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
ग्रहण के समय इन बातों का रखें खास ध्यान
- ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं को किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए
- गर्भवती महिलाओं को सुई में धागा नहीं डालना और न ही कुछ छीलना या काटना नहीं चाहिए।
- गर्भवती महिला के आस-पास से ग्रहण के निगेटिविटी को दूर करने के लिए उनके कमरे के बाहर गोबर या गेरु से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।
- ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही ग्रहण को कभी भी डायरेक्ट आंखों से देखना चाहिए।
- इसके अलावा ग्रहण के दौरान मंदिर या घर के मंदिर की मूर्तियों तथा देवी
- देवताओं की तस्वीर को स्पर्श नहीं करना चाहिए। यहां तक कि- मंदिर में दीपक भी नहीं जलाना चाहिए।
- ग्रहण के समय हाथ जोड़कर भगवान या अपने इष्टदेव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का तेज आवाज में उच्चारण करना चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्र देव के मंत्रों का भी तेज आवाज में उच्चारण करना चाहिए। चंद्र देव के मंत्र इस प्रकार हैं- 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:'
- इसके अलावा इस मंत्र का भी जप कर सकते हैं। मंत्र है- 'ऊँ ऐं ह्रीं सोमाय नमः।'
साथ ही विश्वेदेवो का ध्यान भी करना चाहिए। आपको बता दूं कि- विश्वेदेवो में दस देवता सम्मिलित हैं- इनमें इन्द्र, अग्नि, सोम, त्वष्ट्रा, रुद्र, पूखन्, विष्णु, अश्विनी, मित्रावरूण और अंगीरस शामिल हैं। आज इन सबका मंत्रों के साथ इस प्रकार ध्यान करना चाहिए- ऊँ इन्द्राय नमः। ऊँ अग्नये नमः। ऊँ सोमाय नमः। ऊँ त्वष्ट्राय नमः। ऊँ रुद्राय नमः। ऊँ पूखनाय नमः। ऊँ विष्णुवे नमः। ऊँ अश्विनीये नमः। ऊँ मित्रावरूणाय नमः। ऊँ अंगीरसाय नमः।
इस प्रकार तेज आवाज में मंत्रों का उच्चारण करने से ग्रहण के दौरान फैली निगेटिविटी का व्यक्ति पर असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा ग्रहण शुरू होने से पहले थोड़ा-सा अनाज और कोई पुराना पहना
हुआ कपड़ा, हो सके तो सफेद रंग का कपड़ा निकालकर अलग रख दें और जब ग्रहण समाप्त हो जाये तब उस कपड़े और अनाज को आदर सहित किसी सफाई-कर्मचारी को दान कर दें। इससे आपको चंद्र देव के शुभ फल प्राप्त होंगे।
ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए
- ग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई करके पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए
- घर के मंदिर में रखे सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों और चित्रों पर भी गंगाजल का छिड़काव करके स्नान करना चाहिए
(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)
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