ज्योतिष शास्त्र की मानें तो कुंडली आपके जीवन के हर पक्ष की जानकारी आपको देती है। कुंडली में 12 भाव होते हैं और हर भाव से जीवन के सभी क्षेत्रों के बारे में पता चलता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कुंडली में धन का भाव कौन सा होता है। इस भाव को देखकर आप जान सकते हैं कि, आप कितना पैसा कमाएंगे और कितना धन संचय कर पाएंगे।
कुंडली में धन का भाव
कुंडली के दूसरे भाव को धन का भाव कहा जाता है। इस भाव की स्थिति, इसमें बैठे ग्रह और उन ग्रहों के बल से आपके धन की स्थति का पता चलता है। ये भाव और इसका स्वामी जितना मजबूत होगा उतना ही पैसा कमाने में आपको दिक्कतों का सामना कम करना पड़ेगा।
कुंडली के दूसरे भाव से ऐसे पता करें कितना पैसा होगा आपके पास
- अगर आपकी कुंडली में दूसरा भाव अच्छी अवस्था में है यानि इस पर किसी बुरे ग्रह की दृष्टि नहीं है, कोई अकारक ग्रह इसमें नहीं बैठा हुआ है तो धन कमाने में आपको दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- इस भाव में अगर कोई शुभ ग्रह बैठा हो और उस पर किसी भी पाप ग्रह की दृष्टि न पड़ रही हो, तो व्यक्ति खूब पैसा कमा सकता है और धन को संचित भी कर सकता है।
- इसके अलावा अगर दूसरे घर का स्वामी कुंडली में शुभ स्थान में हो तब भी धन से जुड़े मामलों में सफलता आप अर्जित करते हैं।
- द्वितीय भाव का स्वामी किसी मित्र ग्रह के साथ युति बना रहा हो तो कई स्रोतों से व्यक्ति धन कमा सकता है। ऐसे लोग कमाई से ज्यादा धन संचित कर सकते हैं।
- गुरु की दृष्टि अगर धन भाव पर हो तो, पैसे का कभी अभाव नहीं होता। ऐसे लोग पर्याप्त मात्रा में धन संचित भी कर पाते हैं।
- केंद्र के भाव में बैठा गुरु जातक को खुब धन दिलाता है, ऐसे लोग संपन्न परिवार में पैदा हो सकते हैं।
- कुंडली में दूसरे भाव का स्वामी अगर अपनी उच्च राशि में हो, तब भी आर्थिक परेशानियां व्यक्ति को नहीं आती। ऐसे लोगों का बैंक बैलेंस दिन-ब-दिन बढ़ता रहता है।
- दूसरे भाव का स्वामी और एकादश भाव का स्वामी युति में हों या फिर राशि परिवर्तन कर रहे हों तो ऐसे लोगों के पास अथाह धन संपत्ति हो सकती है।
इन स्थितियों में होता है धन का अभाव
कुंडली में अगर दूसरे भाव का स्वामी मजबूत नहीं है, उसपर क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ रही है या फिर क्रूर ग्रहों के साथ दूसरे भाव के स्वामी की युति है तो, धन से जुड़े मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही गुरु और बुध कुंडली के त्रिक भाव (6,8,12) में बैठे हों तो पैसा संचित करने के लिए कड़ी मेहनत जातक को करनी पड़ सकती है। दूसरे भाव का स्वामी अगर कुंडली में नीच राशि में जाकर बैठ जाए तब भी पैसों से जुड़ी परेशानी का सामना व्यक्ति को करना पड़ सकता है। ऐसे में दूसरे भाव को मजबूत करने के लिए उससे जुड़े उपाय करने चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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