Shani Dev: वैदिक ज्योतिष में शनि का विशेष स्थान है। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। इसका मतलब यह है कि जो लोग अच्छे कर्म करते हैं और गरीबों और कमजोरों को नहीं सताते, शनिदेव उन्हें अच्छा फल देते हैं। वहीं जो लोग गरीबों और कमजोरों पर अत्याचार करते हैं, उन्हें शनिदेव का प्रकोप झेलना पड़ता है। वहीं अगर जन्मपत्री में शनि देव नकारात्मक और अशुभ हों तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है और वह जीवन भर संघर्ष से घिरा रहता है।
कुंडली में शनि मजबूत हो तो क्या होता है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह मजबूत है तो व्यक्ति को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। तुला राशि में शनि को उच्च का माना जाता है। यहां शनि उच्च का होने का अर्थ है बलवान होना। यह जातकों को मेहनती, मेहनती और न्यायप्रिय बनाता है। साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। यह व्यक्ति को धैर्यवान भी बनाता है। यदि कुंडली में शनि देव उच्च या लग्न में हों तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है और उसकी आयु पूर्ण होती है। क्योंकि शनिदेव को आयु प्रदाता भी कहा जाता है।
शनि ग्रह खराब हो तो क्या होता है?
वहीं पीड़ित शनि व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न करता है। जब मंगल शनि को पीड़ित करता है, तो इससे व्यक्तियों के लिए दुर्घटनाओं और कारावास की संभावना बढ़ जाती है। इसके विपरीत, यदि किसी की कुंडली में शनि देव अशुभ हैं, तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है और जीवन भर लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
कैसे करें पता शनि मजबूत या कमजोर है?
- जब आप अधिकतर अलग और उदास महसूस करते हैं तो समझें आपकी कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में है।
- अगर आपको लगातार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है तो समझें आपकी कुंडली में शनि कमजोर है।
- कड़ी मेहनत करने के बाद भी आपको सफलता नहीं मिल रही है तो इसका कारण शनि की कमजोर स्थिति हो सकती है।
- जब जातक की कुंडली में शनि कमजोर होता है तो व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
(ज्योतिषी चिराग दारूवाला विशेषज्ञ ज्योतिषी बेजान दारूवाला के पुत्र हैं। उन्हें प्रेम, वित्त, करियर, स्वास्थ्य और व्यवसाय पर विस्तृत ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के लिए जाना जाता है।)
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