प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी चीज या परिस्थिति से घबराता जरूर है। ज्योतिष शास्त्र में भी हर राशि के भय के बारे में जिक्र मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि सभी 12 राशियों के डर क्या-क्या होते हैं। ये डर इन्हें जीवन भर परेशान कर सकते हैं। हालांकि बढ़ती उम्र के साथ डर कम जरूर हो सकता है लेकिन ये आपके जहन से पूरी तरह से निकल पाए ऐसा ज्यादातर संभव नहीं होता।
मेष
असफल होने का डर: मेष राशि के लोगों को साहसी और उत्साही प्रकृति का माना जाता है, लेकिन असफलता का डर इन्हें हमेशा सताता रहता है। इनको हार आसानी से पचती नहीं है। यानि किसी भी काम में असफलता को सहन करना इनके बस में नहीं होता। जहां इन्हें हार का डर हो उस काम को करने में ये कतराते रहते हैं।
वृषभ
बदलाव और अस्थिरता: वृषभ राशि के लोग जीवन भर स्थिरता और सुरक्षा की तलाश में लगे रहते हैं। इसलिए बदलाव और अस्थिरता इनके जीवन का सबसे बड़ा डर होता है। इस राशि वाले नई परिस्थितियों में आसानी से ढल नहीं पाते और अक्सर अनजान लोगों से भी आसानी से संपर्क ये नहीं बना पाते।
मिथुन
बंधन का डर: मिथुन राशि के लोग स्वतंत्रता पसंद करने वाले होते हैं। इन्हें किसी भी चीज़ में बंधन और पसंद नहीं होता फिर चाहे वो रिश्ता हो या कोई परिस्थिति। इसलिए बंधन का डर इन्हें हमेशा सताता है। इस राशि वाले स्वतंत्र रहकर ही खुश रह पाते हैं।
कर्क
अकेलापन और अस्वीकार: कर्क राशि के लोग भावुक और संवेदनशील माने जाते हैं। अकेलापन का डर इनके दिल में बचपन से ही होता है, अकेले रहने पर ये घबराने लग जाते हैं। इसके साथ ही जिन लोगों को ये चाहते हैं वो इनके प्यार को न समझें या इन्हें अस्वीकार करें तो ये सह नहीं पाते। इन्हें अपने प्रियजनों की आवश्यकता होती है और उनकी अनुपस्थिति से वे बेहद भयभीत होते हैं।
सिंह
अपमान से भय: ग्रहों के राजा सूर्य की राशि सिंह के लोग गर्व और आत्मविश्वास से भरे होते हैं। अपमान का डर इनको हमेशा सताता है और इसीलिए ये हमेशा अच्छा आचरण करते हैं। ये लोग अपनी प्रतिष्ठा को लेकर बहुत सजग रहते हैं और किसी भी प्रकार की आलोचना से डरते हैं।
कन्या
अस्त-व्यस्त रहने का भय: कन्या राशि के लोग व्यवस्थित रहते हैं और दूसरों से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं। अस्त-व्यस्त और अपूर्णता का डर उन्हें हमेशा सताता रहता है। ये लोग हर चीज में परफेक्शन और अक्सर अव्यवस्था देखकर चिड़चिड़े हो जाते हैं।
तुला
संघर्ष और विवाद: शुक्र के स्वामित्व वाली तुला राशि के लोग शांतिप्रिय और संतुलित होते हैं। संघर्ष और विवाद का डर उन्हें हमेशा सताता है। इस राशि वाले हर स्थिति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करते हैं और कभी भी वाद-विवाद में नहीं पड़ते।
वृश्चिक
विश्वासघात और धोखा: वृश्चिक राशि के लोगों को रहस्यमयी माना जाता है। विश्वासघात और धोखे का डर इनके लिए सबसे बड़ा होता है। वे अपने प्रियजनों के प्रति बहुत वफादार होते हैं और किसी भी प्रकार के धोखे से बहुत ज्यादा डरते हैं।
धनु
बंधन का डर: गुरु के स्वामित्व वाली धनु राशि के लोग स्वतंत्रता प्रेमी और खुले विचारों वाले होते हैं। बंधन और प्रतिबंध का डर उन्हें हमेशा सताता है। ये लोग किसी भी प्रकार की सीमाओं में बंधकर नहीं रहना चाहते।
मकर
असफलता और प्रतिष्ठा का नुकसान: मकर राशि के लोग महत्वाकांक्षी और मेहनती माने जाते हैं। इन्हें असफलता और प्रतिष्ठा के नुकसान का डर हमेशा परेशान करता है। वे अपनी मेहनत से अर्जित सम्मान को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। सम्मान में कमी इनको परेशान कर सकती है।
कुंभ
स्वीकृति और पहचान की कमी: कुंभ राशि के लोग विचारशील और संयमित होते हैं। हालांकि स्वीकृति और पहचान की कमी का डर इन्हें हमेशा सताता है। वे अपने अनूठे विचारों और दृष्टिकोण को स्वीकार कराए बिना नहीं रह सकते।
मीन
जिम्मेदारियों से डर: मीन राशि के लोग संवेदनशील और कल्पनाशील होते हैं। इनको यह डर हमेशा सताता रहता है कि ये अपनी जिम्मेदारियों को निभा नहीं पाएंगे। इनका ये डर तब तक खत्म नहीं होता जब तक ये अपने सारी जिम्मेदारियों को पूरा न कर लें।
प्रत्येक राशि का अपना विशेष डर होता है जिसकी वजह से जीवन भर परेशानियां हो सकती हैं। हालांकि, डर से पार पाने के लिए सकारात्मक सोच, सही संगति में आपको रहना चाहिए। इससे कई समस्याओं से आप बच सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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