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लाखों सालों बाद यहां पूजे जाएंगे भगवान बद्रीनाथ? जानिए 'भविष्य बद्री' से जुड़ी मान्यताएं

Joshimath: उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर को लेकर हिंदुओं की गहरी आस्था है। ऐसे में इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि लाखों सालों बाद बद्रीनाथ मंदिर जोशीमठ के करीब स्थापित हो जाएगा और फिर वही जगह भगवान विष्णु का स्थान होगा।

Written By : Abhay Parashar Edited By : Vineeta Mandal Updated on: January 19, 2023 6:11 IST
Badrinath Mandir- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Badrinath Mandir

Joshimath Sinking​: जोशीमठ से तपोवन होते हुए 21 किलोमीटर पर भविष्य बद्री मंदिर है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, लाखों सालों बाद बद्रीनाथ धाम मंदिर इसी जगह पर स्थापित होगा। इसी जगह पर भगवान बद्री की पूजा-अर्चना हुआ करेगी। बता दें कि उत्तराखंड के चार धाम यात्रा में ब्रदीनाथ धाम के अलावा गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ शामिल है। बद्रीनाथ के सतोपंथ से दक्षिण में नंदप्रयाग वाले क्षेत्र को बद्रीक्षेत्र कहते हैं। इस क्षेत्र में भगवान विष्णु को समर्पित पांच मंदिर हैं, जिन्हें पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के अलावा योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री अन्य बद्री मंदिर है। 

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भविष्य बद्री मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथा प्रचलित है। भगवान भविष्य बद्री की पूजा करने वाले पुजारी कालू बाबा ने इस मंदिर से जुड़ी कथाओं और मान्यताओं के बारे में इंडिया टीवी को बताया। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे। 

भविष्य बद्री को लेकर आध्यात्मिक मान्यताएं

उतराखंड में जिस तरह से पंचप्रयाग पंचकेदार स्थित है। इसी तरह से यहां पंचबद्री भी है जिसे भगवान विष्णु के तीर्थ स्थल के तौर पर जाना जाता है। चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री इसी तरह भगवान विष्णु का एक तीर्थ स्थल है पंचबद्री में से जिसका नाम है भविष्य बद्री मंदिर।

स्कंध पुराण की मान्यताओं के मुताबिक, एक समय ऐसा आएगा, जब जोशीमठ में मौजूद भगवान नरसिंह मंदिर में विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति खंडित हो जाएगी। कहा जाता है उनकी बाएं हाथ की कलाई घिस रही है। एक समय ऐसा आएगा जब उनके बाएं हाथ की कलाई टूट जाएगी। उस दौरान जोशीमठ पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा।

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धार्मिक मान्यता है कि नर नारायण पर्वत जिन्हें जय विजय पर्वत भी कहा जाता है ये एक दूसरे से टकराएंगे। इस दौरान अभी मौजूदा बद्रीनाथ मंदिर जो जोशीमठ से करीब 45 किलोमीटर है ये रास्ता बंद हो जाएगा। इसके बाद भगवान बद्रीनाथ धाम की पूजा जोशीमठ से तपोवन होते हुए 21 किलोमीटर ऊपर दुर्गम पहाड़ियों के बीच बने भविष्य बद्री मंदिर में हुआ करेगी। हालांकि ये लाखों साल बाद कि मान्यताएं हैं।

(डिस्क्लेमर - ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।)

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