Jagannath Rath Yatra 2023: हिंदू धर्म में आषाढ़ का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की आराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आषाढ़ में जहां देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है वहीं ओड़िसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ जी भगवान विष्णु का दूसरा स्वरूप ही माने जाते हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में वह अपनी बहन देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजमान हैं। पुरी में निकाली जाने वाली रथ यात्रा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु उमड़ते हैं। वहीं आपको बता दें कि रथ यात्रा से पहले जगन्नाथ मंदिर में के कपाट भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। जानिए आखिर ऐसा क्यों किया जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का होता सहस्त्रधारा स्नान
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और देवी सुभद्रा को गृर्भाग्रह से बाहर आते हैं और फिर उन्हें सहस्त्र स्नान कराया जाता है। इसके बाद संध्या महाआरती, षोडशोपचार पूजन, पंचाअमृत, गर्भगृह का पूजन, महाभोग, पुष्पांजलि और विशेष आरती के बाद जगन्नाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस साल जगन्नाथ मंदिर के कपाट 4 जून से 18 जून, 2023 तक बंद रहेंगे। इस बीच भक्तगण जगन्नाथ भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे।
15 दिन भगवान रहते हैं बीमार
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पूर्णिमा के दिन 108 घड़ों से स्नान के कारण भगवान को बुखार आ जाता है और वो बीमार हो जाते हैं। इस वजह से 15 दिनों तक भगवान अपने शयन कक्ष में विश्राम करते हैं। आम लोगों की तरह ही बीमार होने पर भगवान जगन्नाथ का उपचार किया जाता है। इस दौरान उन्हें कई औषधियां दी जाती हैं और भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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