जगन्नाथ पुरी धाम हिंदू धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यह धाम महाभारत काल से भी पुराना है। महाभारत के वनपर्व में पुरी धाम का उल्लेख मिलता भी है। यह मंदिर जितना पवित्र है उतना ही चमत्कारी भी। मंदिर से जुड़े कई चमत्कारों के बारे में आपने सुना भी होगा। साथ ही इस मंदिर का खजाना भी लोगों के कौतूहल का विषय है। आखिरी बार इस खजाने को 1978 में खोला गया था। इस मंदिर के खजाने को फिर से खोलने की प्रक्रिया 2024 में चल रही है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिरी बार जब रत्न भंडार का दरवाजा खोला गया था तो क्या मिला था और तब से अब तक रत्न भंडार को क्यों नहीं खोला गया।
क्यों नहीं खुला 46 साल तक रत्न भंडार?
जगन्नाथ पुरी मंदिर के रत्न भंडार को न खोलने के पीछे की वजह रोचक है। रत्न भंडार को लेकर 1960 में श्री मंदिर एक्ट बना था। इस एक्ट में लिखा गया था कि, हर तीन साल में मंदिर के खजाने को गिना जाएगा और हर छोटी से छोटी वस्तु का लेख-जोखा रखा जाएगा। हालांकि 1978 में आखिरी बार इस खजाने की गणना हुई और उसके बाद भंडार में कितना धन है इसका पता किसी को नहीं है। सवाल ये उठता है कि, आखिरी 3 साल बाद खजाने की गणना का कानून बनने के बाद भी क्यों नहीं दरवाजों को खोला गया। सूत्रों की मानें तो इसका कारण ये है कि मंदिर के खजाने की चाबी खो गई थी।
मंदिर के खजाने की चाबी मंदिर ट्रस्ट के पास नहीं बल्कि, राज्य सरकार के पास रहती हैं। राज्य सरकार से इस चाबी को लेने के लिए पहले कोर्ट में अर्जी देनी पड़ती है, कोर्ट के आदेश के बाद ही राज्य सरकार इस चाभी को दे सकती है। लेकिन 1978 के बाद इस चाबी के खोजाने की खबरें आयीं। 2018 में जब कोर्ट ने दरवाजे को खोलने के आदेश दिए तो, चाबी न मिलने के कारण रत्न भंडार के दरवाजों को खोला नहीं जा सका। हालांकि इस साल इस दरवाजे को खोला जाएगा।
आखिरी बार क्या मिला था पुरी धाम के रत्न भंडार से
जगन्नाथ पुरी धाम के खजाने की गणना 1978 में की गई थी। उस दौरान मंदिर के खजाने से 140 किलो से भी अधिक का सोना निकला था और साथ ही 256 किलो तक चांदी के आभूषण और बर्तन थे। आभूषणों में बेशकीमती रत्न, हीरे,जवाहरात होने की भी बात की गई थी। तब से अब तक इस खजाने की गणना नहीं हुई है, स्वाभाविक है कि अब इस भंडार में पहले से अधिक रत्न आभूषण आदि मिलेंगे। 2024 में एक 11 सदस्यों की एक टीम इस खजाने की गणना करने वाली है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-