Wednesday, June 26, 2024
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कल देवस्नान पूर्णिमा के दिन नहाएंगे भगवान जगन्नाथ, सोने के कुएं से लाया जाएगा जल, साल में खुलता है केवल एक बार

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ का जलाभिषेक किया जाता है, इसलिए इस दिन को देवस्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले जलाभिषेक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।

Written By: Naveen Khantwal
Published on: June 21, 2024 18:40 IST
Jagannath Puri Dev Snan- India TV Hindi
Image Source : FILE Jagannath Puri Dev Snan

भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा से 2 हफ्ते पहले देव स्नान किया जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ के साथ ही बलभद्र जी, सुभद्राजी और सूदर्शन जी का भी जलाभिषेक किया जाता है। इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 22 जून को है इसलिए, इसी दिन देव स्नान करवाया जाएगा। आइए ऐसे में जानते हैं कि जलाभिषेक करने के लिए जल कहां से लाया जाएगा, कितने मटकी जल से जगन्नाथ जी का जलाभिषेक किया जाएगा, और देव स्नान का पूरा कार्यक्रम कैसा रहेगा।  

जगन्नाथ जी के स्नान के लिए सोने के कुएं से आएगा जल

महाप्रुभु जगन्नाथ जी को नहलाने के लिए सोने के कुएं से जल लाया जाता है। यह कुआं साल में केवल एक बार ही देवस्नान के दिन खुलता है। इस कुएं का ढक्कन लगभग 2 टन का बताया गया है, जिसे उठाने के लिए कम-से-कम 10-12 लोगों की आवश्यकता होती है। कुएं के ढक्कन को साल 2024 में कुएं की निगरानी करने वालों की अगुवाई में 22 जून यानि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन खोला जाएगा। इस कुएं को खुलने के बाद सोने की ईंट साफ नजर आ जाती हैं। यहां आने वाले भक्त भी कुएं के ढक्कन के एक छेद से इस कुएं में स्वर्ण डालते हैं। माना जाता है कि ये कुआं मंदिर के रत्न भंडार से भी जुड़ा है, इसके अंदर कितना रत्न भंडार है, इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। 

कैसा रहेगा कार्यक्रम 

ज्येष्ठ पूर्णिमा की सुबह इस कुएं में उतरे बिना रस्सियों के जरिए सबसे पहले इसकी सफाई की जाएगी। इसके बाद पीतल के घड़ों में इस कुएं से पानी भरा जाएगा। घड़ों की संख्या ठीक 108 होगी। पानी भरने के बाद इन घड़ों में 13 प्रकार की सुगंधित वस्तुएं मिलाई जाएंगी और उसके बाद नारियल द्वारा इन घड़ों को ढक लिया जाएगा। इसके बाद घड़ों को स्नान मंडप तक पहुंचाया जाएगा। मंडप में तीन चौकियों पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्राजी की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा, साथ ही सूती वस्त्र से इन काष्ठ की मूर्तियों को लपेटा जाएगा, ताकि जल से काष्ट काया खराब न हो। इसके बाद  जलाभिषेक किया जाएगा। 

कितने घड़ों से किया जाता है जगन्नाथ जी का जलाभिषेक

परंपराओं के अनुसार, महाप्रभु जगन्नाथ जी को 35 घड़े पानी से नहलाया जाता है। बलभद्र जी को 33, सुभद्राजी 22, और सुदर्शन जी को 18 घड़े पानी से नहलाया जाता है। हालांकि जलाभिषेक का क्रम थोड़ा अलग होता है। जलाभिषेक के लिए सजे मंडप में सबसे पहले सदर्शन जी को स्नान करवाया जाता है, इसके बाद बलभद्र जी, फिर सुभद्राजी और अंत में भगवान जगन्नाथ जी का जलाभिषेक किया जाता है। 

मान्यताओं के अनुसार देवस्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए 15 दिन तक वो गर्भगृह में विश्राम करते हैं, तब तक भक्तों को उनके दर्शन की इजाजत नहीं होती। 15 दिन बाद जगन्नाथ रथ यात्रा से 2 दिन पहले गर्भगृह के किवाड़ खुल जाते हैं। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को है इसलिए 5 तारीख को गर्भगृह के दरवाजे भक्तों के लिए खुल जाएंगे। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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