भगवान कल्कि विष्णु जी के अंतिम अवतार होंगे। शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि, इनका जन्म कलयुग में होगा। हिंदू शास्त्रों की मानें तो, जब पाप अपनी पराकाष्ठा पर होगा तो विष्णु भगवान, कल्कि रूप में पृथ्वी पर प्रकट होंगे। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि, भगवान कल्कि के जन्म, जन्मस्थान के संबंध में किस पुराण में लिखा गया है, और विष्णु जी के इस अंतिम अवतार से जुड़ी कुछ अन्य खास बातों के बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में जानकारी देंगे।
किस पुराण में है कल्कि भगवान का जिक्र
विष्णु जी के कल्कि अवतार का जिक्र कई धर्म ग्रंथों में देखने को मिलता है। भविष्य पुराण में लिखा गया है कि कलयुग में पापियों का नाश करने के लिए कल्कि भगवान जन्म लेंगे। श्रीमद्भागवत पुराण में भी इसी तरह का जिक्र कल्कि जी के संबंध में है। यानि श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भी कल्कि भगवान धर्म की स्थापना करने के लिए धरती पर जन्म लेंगे। स्कंदपुराण में वर्णित है कि कलयुग और सतयुग का जब संधिकाल होगा तो भगवान कल्कि पृथ्वी पर मानव कल्याण के लिए जन्म लेंगे। पुराणों के अनुसार, कलयुग के अंत में कल्कि भगवान अवतार लेंगे, कलयुग का अंत होने में अभी 426875 साल बाकी हैं। इस समय कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है और कलयुग के 5126 साल हुए हैं।
कल्कि अवतार से जुड़ी कुछ खास बातें
कल्कि भगवान विष्णु के दसवें और आखिरी अवतार होंगे। इनके जन्मस्थान के संबंध में लिखा गया है कि, उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में कल्कि भगवान एक ब्राह्मण के घर में जन्म लेंगे। इनका जन्म सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी को होगा। कल्कि जी के पास देवदत्त नाम एक घोड़ा होगा, इसी पर बैठकर कल्कि दुष्टों का नाश करेंगे। इनके हाथों में तीर-कमान होंगे और साथ ही एक तलवार भी। शास्त्रों में कहा गया है कि कल्कि भगवान 64 कलाओं में परिपूर्ण होंगे। भगवान राम की ही तरह कल्कि जी के भी 4 भाई होंगे, जिनका नाम सुमन्त, प्राज्ञ और कवि होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल्कि अवतार में भगवान विष्णु वैष्णों देवी के साथ विवाह करेंगे। शास्त्रों में वर्णित है कि, भगवान श्रीराम से विवाह करने के लिए देवी युगों से तपस्या में लीन हैं। इनकी तपस्या को भी कल्कि भगवान ही पूर्ण करेंगे।
भगवान विष्णु के कल्कि अवतार को मार्गदर्शन देने वाले परशुराम जी होंगे। आपको बता दें कि परशुराम जी को अमरता का वरदान प्राप्त है। परशुराम जी के कहने पर ही कल्कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या करेंगे। कहा गया है कि, शिव जी को प्रसन्न करने के बाद कल्कि भगवान को कई दिव्य शक्तियां प्राप्त होंगी, जिनके बल पर वो अधर्मियों का नाश और धर्म को स्थापित करेंगे। भगवान विष्णु के इस अवतार को निष्कलंक भगवान के नाम से भी जाना जाएगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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