Hindu Funeral Tradition: हिंदू धर्म से जुड़ी कई ऐसी परंपराएं हैं जो सदियों से चली आ रही है। इन सभी परंपराओं का एक खास कारण और महत्व होता है। इन्हीं में से एक अंतिम क्रिया या अंतिम संस्कार है। दरअसल, जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो अंतिम क्रिया उनकी शवयात्रा निकाली जाती है। इस अंतिम यात्रा के दौरान राम नाम सत्य कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शव यात्रा ले जाते वक्त राम नाम सत्य है क्यों कहा जाता है? अगर नहीं, तो आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे। आइए जानते हैं।
धर्मराज युधिष्ठिर ने बताया ‘राम नाम सत्य है’ का मतलब
हिंदू धर्म के अनुसार, शव यात्रा के दौरान 'राम नाम सत्य है' जरूर कहा जाता है। इसके पीछे का कारण महाभारत के प्रमुख किरदार और पांडवों में सबसे बड़े धर्मराज युधिष्ठिर ने एक श्लोक में बताया था। आइए जानते हैं।
यह था श्लोक
'अहन्यहनि भूतानि गच्छंति यमममन्दिरम्।
शेषा विभूतिमिच्छंति किमाश्चर्य मत: परम्।।'
दरअसल, युधिष्ठिर कहते हैं कि जब हम शव को शमशान घाट ले जाते हैं तब तो हम राम का नाम लेते हैं लेकिन जब अंतिम संस्कार के बाद घर लौटते हैं तो राम नाम को भूलकर मोह माया और मृतक की संपत्ति में लिप्त हो जाते हैं। वहीं, शव यात्रा ले जाते समय एक इंसान वो होता है जो अपना जीवन पूरा करके सबको अलविदा कह रहा होता है। वहीं दूसरी और ऐसे इंसान होते हैं जो जीवन जी रहे होते हैं। ऐसे में जीवन के दौरान हासिल करने वाली हर एक चीज यहीं छूट जाती है और आखिरी में जो बचता है वो केवल राम नाम है। तो इसलिए हम शव को ले जाते समय राम नाम सत्य कहते हैं।
डिस्क्लेमर- ये आर्टिकल जन सामान्य सूचनाओं और लोकोक्तियों पर आधारित है। इंडिया टीवी इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।
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