भगवान कृष्ण को मोर मुकुटधारी भी कहा जाता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कृष्ण जी के मोर मुकुट धारण करने के पीछे कई कहानियां हैं। वहीं ज्योतिषीय जानकार मानते हैं कि कुंडली के एक दोष को दूर करने के लिए भी माखनचोर सिर में मोर का मुकुट धारण करते थे। ऐसे में आज हम आपको कृष्ण जी के मोर मुकुट धारण करने के पीछे की 4 रोचक वजहों के बारे में जानकारी देंगे।
राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है मोर पंख
ऐसा माना जाता है कि एक बार कृष्ण जी की बांसुरी की धुन पर राधा रानी नृत्य कर रही थीं। इसी दौरान मोर भी उनके साथ महल में नृत्य करने लगे। नृत्य करते समय एक मोर का पंख नीचे गिर गया, इस पंख को कृष्ण जी ने अपने मुकुट पर सजा दिया। श्रीकृष्ण ने राधा के प्रेम के प्रीतक के रूप में इस मोरपंख को अपने मुकुट में लगाया था।
मोर मुकुट धारण करने से जुड़ी रोचक कहानी
एक कथा के अनुसार, जब श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ वन में भटक रहे थे तो सीता जी को प्यास लगी। राम जी को दूर-दूर तक भी कोई जलाशय नहीं दिखा तो उन्होंने वन देवता से सहायता मांगी। ऐसे में वहां एक मोर आया और उसने जलाशय का रास्ता बताने को कहा। मोर वायु मार्ग से जा रहा था और राम जी रास्ता न भटकें, इसलिए अपने पंख निशानी के तोर पर रास्ते में छोड़ रहा था। अंत में मोर ने राम जी को जलाशय तक पहुंचा दिया। लेकिन असमय पंखों के गिरने की वजह से वो मृत्यु की गोद में समाने लगा। अंतिम समय में उसने कहा कि, राम जी की मदद करके मेरा जीवन धन्य हो गया।
श्रीराम ने मोर से कहा कि तुमने मेरी सहायता करने के लिए अपने जीवन का त्याग कर दिया है, मैं इस जन्म में तुम्हारा ऋण नहीं चुका सकता लेकिन अगले जन्म में मैं तुम्हारा ऋण चुकाउंगा। माना जाता है कि इसीलिए राम जी ने जब कृष्ण का रूप लिया तो मोर मुकुट अपने मस्तक पर धारण किया।
ज्योतिषाचार्यों का ये है कथन
श्रीकृष्ण के मोरमुकुट धारण करने के पीछे भले ही कई कहानियां कही जाती हों, लेकिन ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि कुंडली में कालसर्प दोष होने की वजह से कृष्ण मोर मुकुट धारण करते थे। सर्प और मोर एक दूसरे के दुश्मन हैं ऐसे में कालसर्प दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए भगवान कृष्ण मोर मुकुट पहनते थे। ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि, कालसर्प दोष से जुड़े सभी लक्षण कृष्ण जी के जीवन में दिखते हैं। उनका जन्म एक कारागर में हुआ, जन्म होते ही माता-पिता का साथ छूट गया, उनके मामा कंश ने उन्हें मारने के कई प्रयास किये ऐसी ही कई परेशानियां कृष्ण जी के जीवन में आयी थीं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इसका कारण कालसर्प दोष ही था।
कृष्ण मोर मुकुट पहनकर दर्शाते हैं समभाव
भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे। नाग और मोर में दुश्मनी है लेकिन कृष्ण जी ने मोर पंख पहनकर यह संदेश दिया कि, चाहे शत्रु हो या मित्र हर किसी के लिए उनके मन में समान भाव है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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